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दुलार का भूख ( हिंदी कहानी) लेखक-राजहंस कुमार

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Dular ka bhookh Hindi story by Rajhans
Dular ka bhookh Hindi story by Rajhans

दुलार का भूख ( हिंदी कहानी) लेखक-राजहंस कुमार: ( Dular ka bhukh Hindi story ) नमस्कार दोस्तों एजुकेशन पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम आपके बीच एक कहानी लेकर  हाजिर हैं। कहानी के रचनाकार राजहंस कुमार है। इस कहानी के पात्र और घटनाएं काल्पनिक है। दुलार का भूख ( हिंदी कहानी) को अंत तक पढ़े। आशा है यह हमारे समाज में सकारात्मक सोच पैदा करेगी।

दुलार का भूख ( हिंदी कहानी) लेखक-राजहंस कुमार

राधिकापुर गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी।उनके साथ एक बेटा भी था ,जिसका नाम रोहित था। रोहित का एक छोटा सा घर था और 10 कट्ठा जमीन ,दिनभर उसी खेत में काम कर जीवन यापन करता, घर का काम उनकी बूढ़ी मां कीया करती थी ।

समय बीतता गया जमीन भी धीरे-धीरे बंजर होता चला गया, अब खेती करने में रोहित को मन नहीं लग रहा था ।एक दिन उसने सोचा कि घर पर रहने से अब काम नहीं चलेगा, शहर जाकर अब कुछ काम करना होगा नहीं तो परिवार की स्थिति बहुत बिगड़ जाएगा । फिर वह ऐसा ही किया, मां से विदा लेकर शहर चला गया ।

भगवान की कृपा से शहर जाते हीं उनको एक अच्छे सेठ के यहां नौकरी लग गई। कुछ ही दिनों में सेठ उनको बहुत चाहने लगे ।अब उन्हें बहुत सारी सुविधा मिलने लगा सेठ जैसा भोजन करते वैसा ही भोजन रोहित को भी खिलाते ,सेठ के संग वह भी कार से सफर करते ।अच्छी भोजन अच्छी वस्त्र और रहने के लिए अच्छी मकान सारी सुविधा उनका कदम चूमता। सेठ महीना में उसे ₹6000 दिया करता ,जिससे वह अपने घर मां को भेज दिया करता ,कुछ दिन तो रोहित सुखानंद में अपना समय बिताया ,लेकिन अब वह सुख आनंद से उबने लगा।

अब वह प्रतिदिन अपने सेठ से कहता सेठ जी मुझे घर जाने दीजिए ,सेठ जी उसे बहुत समझाता कि रोहित यहां तुम्हें किस चीज की कमी है, खाने-पीने और रहने की सुविधा मौजूद है फिर भी तुम क्यों घर जाने को इतना जिद करते हो। लेकिन रोहित सिर्फ इतना रट लगाए रक्खा कि हमें जाना है। मुझे यहां अच्छा नहीं लगता अंत में विवश होकर सेठ को घर जाने की आज्ञा देनी पड़ा ।

रोहित खुशी-खुशी घर आया अपने बेटे को देखकर उस बूढ़ी औरत की जान में जान आ गयी ।अब फिर से रोहित अपने खेत में काम करने लगा अब उन्हें शहर से ज्यादा खेत में आनंद आता । दिन भर काम करने के बाद रोहित जब घर आता तो उनकी मां उनको अपने हाथ से खाना खिलाती। और फिर घंटों बातें करते कुछ ही दिनों में वह शहर की यादों को भुला दिया। उधर जब से रोहित घर पर आया, सेठ बहुत चिंतित रहने लगा वह दिन भर यही सोचता कि रोहित को इतना सुख और आनंद यहां प्राप्त था मेरा प्यार उन्हें मिल रहा था ,फिर भी गांव में ऐसी कौन सी शक्ति है जो रोहित को से खींच ले गया ।

जब सेठ बहुत प्रयत्न करने के बाद भी इस पहेली को नहीं सुलझा पाया तो ,एक दिन व रोहित की स्थिति जानने राधिकापुर रवाना हो गया।वहां जाकर वह अपना वेश बदला और रोहित के घर के आसपास घूमने लगा । वहां जो वह दृश्य देखा उससे उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। उन्होंने देखा कि रोहित सिर्फ गंजी और लुंगी पहने हुए हैं हाथ में कुदाल पसीने से तरबतर अपने खेत में कुदाल चला रहा है ,और मीठी स्वर में गा रहा है -स्वर्ग से सुंदर सपनों से प्यारा है अपना घर द्वार………।

सेठ भी एक पेड़ के नीचे बैठ गया कुछ देर के बाद जो हुआ उसे देखकर तो सेठ का दिमाग चकरा गया । रोहित बहुत थक चुका था ,वह भी एक छायादार पेड़ के नीचे बैठ गया और एक पोटली खोल रोटी निकालकर अपने सामने रक्खा, फिर उस पर एक अचार और कुछ हरी मिर्च भी डाल लिया ,फिर बड़े मजे से खाने लगा खाकर थोड़ा पानी पिया और कुदाल लेकर एक आम के बाग में जाकर छाया में लेट गया ।

थोड़ी देर के बाद फिर अपने खेत में आकर काम करने लगा ।सूर्यास्त हो चुका शाम ढलने लगी थी, रोहित जल्दी जल्दी काम निपटा कर घर की तरफ चल दिया ।घर पहुंचकर हाथ पैर धोया फिर स्नान किया और साफ-सुथरा होकर एक खाट पर आकर बैठ गया । इतने मे मां रोहित के लिए अंदर से एक कटोरा में फूटहा लाइ ।

रोहित मां से फूटहा लेकर खाने लगा ।और फूटहा का तारीफ करने लगा ।यह सब सेठ छुप कर देख रहा था ।अब उसे रहा नहीं गया वह रोहित के आँगन में प्रवेश किया। अपरिचित व्यक्ति को देखकर रोहित खड़ा हो गया और बैठने का आग्रह किया । फिर मां को आवाज दिया मां देखो कोई मेहमान आया है एक और नाश्ता लाना । सेठ सहसा बोल पड़ा नहीं बेटा इसकी कोई आवश्यकता नहीं मैं तो तुमसे मिलने आया था । मिल कर चला जाऊंगा ।

सेठ के मुख से आवाज निकलते ही रोहित आवाज पहचान गया और तुरंत झुक कर प्रणाम किया ,और सिर झुका कर खड़ा हो गया । सुखी रहो बेटा बैठ जाओ रोहित का सिर शर्म से झुक गया था । फिर भी हिम्मत करके पूछा सेठ जी ,आप मेरे घर पर कैसे पधारे । सेठ बोले बेटा जिस दिन से तुम आए हो मेरे मन में एक ही सवाल बार-बार उठ रहा था कि ऐसी कौन सी शक्ति है, कौन सी भूख है, जो तुम्हें शहर का इतना सुख आनंद त्यागने पर विवश कर दिया ।और तुम्हें यहां खींचकर लाया। रोहित उत्साह पूर्वक जवाब दिया वह शक्ति और वह भूख दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति और भूख हैं ।

वह है दुलार का भूख जो हमें शहर में नहीं मिल रहा था सेठ जी । सेठ को उत्तर मिल चुका था ,सेठ भाव विह्वल होकर रोहित को गले लगा लिया। इतने में मां एक कटोरा फूटहा और एक गिलास पानी लेकर आइ।सेठ रोहित की मां को प्रणाम किया । मां उसे आशीर्वाद दिया ,फिर रोहित मां के हाथ पकड़ लिया और बोले मां यहीं हमारे सेठ जी है ।हमारे सेठ जी ये नास्ता नहीं करते ।

सेठ तुरंत मां के हाथ से कटोरा ले लिया और खाने लगा । रोहित हक्का-बक्का होकर देखता ही रह गया । खाने के बाद सेठ रोहित से बोला बेटा तुम दुनिया की सबसे अनमोल वस्तु” दुलार” पा रहा है। फिर रोहीत को गले लगा कर बाहर आया और अंधेरे में खो गया।।

राजहंस कुमार ?

दुलार का भूख ( हिंदी कहानी) Code— hgSK4327

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18 COMMENTS

  1. इसी प्रकार का और कहानी हम लोगों के सामने रखने का कष्ट करें सर.

  2. हमारे इस कहानी को पढ़ने के लिए सभी को तहे दिल से धन्यवाद।

  3. इस कहानी को पढ़ने के बाद मुझे गांव की याद आ रही है। बहुत दिन हो गए गांव गए हुए।आपने मुझे रुला ही दिया।

  4. क्या लिखावट है सर जी!
    इस कहानी से मन भाव विह्वल हो जाता है ऐसे कहानी बड़े-बड़े उपन्यासकार के उपन्यास में ही मिलते हैं।
    बहुत-बहुत धन्यवाद।

  5. सबसे पहले इस कहानी के लेखक राजहंस जी को धन्यवाद ।
    मैं रवि शंकर चौधरी आपको इस सुंदर तम कहानी रचना के लिए तहे दिल से धन्यवाद करता हूं। मैं आपके इस कहानी में आधुनिक समाज में व्याप्त कुरीति पर प्रेम और स्नेह की जीत को करीब से देखा है। इस प्रकार की कहानियां मैं मुंशी प्रेमचंद्र जी के कहानी संग्रह में पढ़ा करता था उनका जो लिखने का ढंग गांव परिवेश से संबंधित कहानियां और सामान्य भाषा का प्रयोग वही सब कुछ मुझे आपकी इस कहानी में देखने को मिला ।मैं आपसे निवेदन करता हूं कि जिस प्रकार आप कहानी लेखन शुरू की और हम लोगों के सामने अच्छी कहानी रखने का प्रयत्न किए उसी प्रकार आप अपने अनमोल रचनाओं से सभी पाठकों का एक दिन अवश्य दिल जीत लेंगे। मेरा प्यार आपके साथ है।
    धन्यवाद

  6. आधुनिक समय में इस तरह की कहानी बहुत कठिनाई से मिलता है ।राजहंस जी इस घ्रिणा युक्त समाज मे इस प्रकार की कहानी रखने के लिए धन्यवाद ।मै आपके इस कहानी से बहुत प्रभावित हुआ ।मै आशा करता हूं कि आप इसी प्रकार हम लोगो के सामने अच्छी – अच्छी कहानी रखने का प्रयास करेंगे ।
    धन्यवाद ।

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