Computer क्या है? इसकी परिभाषा, विशेषताएं और इतिहास हिंदी में What is computer?: Computer हमारे जिंदगी की एक खास हिस्सा (parts) बन चुकी है, यदि हम स्कूल में देखें , पोस्ट ऑफिस में , रेलवे स्टेशन इत्यादि जगहों, यहां तक कि हम अपने दैनिक जीवन (Daily life) में भी कामों को कंप्यूटर के माध्यम से सुलझाते हैं। 2 December को कंप्यूटर साक्षरता दिवस के रूप में मनाते हैं। Full information.
Computer क्या है? इसकी परिभाषा, विशेषताएं और इतिहास हिंदी में What is computer in Hindi
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( इस पोस्ट में हम कंप्यूटर के महत्वपूर्ण टॉपिक को cover करेंगे . यह अपडेट होता रहेगा इसलिए पूरा पोस्ट को पढ़ें।)
कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (Electronic device) है जिसका उपयोग करके हम रोजगार प्राप्त कर सकते हैं । आजकल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं (Competitive Examinations) में भी कंप्यूटर ज्ञान का महत्व रखा जाता है, इसलिए हमें कंप्यूटर की बुनियादी जानकारीयां (Basic Knowledge) होनी चाहिए।
इन सभी तथ्यों को देखते हुए आप लोगों के लिए एक लेख प्रस्तुत कर रहा है यदि आपको इससे 1% भी लाभ प्राप्त हो तो आप कमेंट के माध्यम से हमें जरूर अवगत कराएं और व्हाट्सएप, फेसबुक (WhatsApp and Facebook) के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाएं , क्योंकि हम लोग कंप्यूटर के युग में जी रहे हैं इसके विषय में जानना काफी जरूरी है।
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कम्प्युटर क्या है? What is Computer in Hindi?
कंप्यूटर compute शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है गणना (Calculate) किंतु कंप्यूटर को सिर्फ जोड़ लेने वाली मशीन कह देना बिल्कुल गलत है , क्योंकि यह हजारों काम करते हैं और वह भी जल्द से जल्द।
इनके काम अलग-अलग हैं। जैसे यदि कोई टाइपिस्ट कंप्यूटर पर काम करते हैं तो वे समझते हैं कि कंप्यूटर पर टाइपिंग (Computer typing) किया जा सकता है, यदि किसी अकाउंटेंट (Accountant) से पूछा जाए तो उनका जवाब कुछ अलग होता है क्योंकि इनके कार्य निराले हैं।
इसलिए हम कह सकते हैं कि कंप्यूटर का अर्थ किसी एक परिभाषा में नींहित नहीं हो सकता, क्योंकि हम देखते हैं कि काम के हिसाब से अर्थ बदलता जा रहा है।
कम्प्युटर की परिभाषा क्या है? What is definition of computer
कंप्यूटर एक मशीन है जो निर्देशानुसार कार्य को संपन्न करते हैं हम ऐसे भी कह सकते हैं कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (Electronic device) है जो इनपुट लेकर उसे Process करता है और आउटपुट के रूप में आंकड़े प्रदान करते हैं। What is computer in Hindi
डाटा संख्या, वर्णमाला, आंकड़े आदि के रूप में हो सकते हैं। यदि हम आंकड़े गलत देते हैं तो रिजल्ट भी गलत आता है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कंप्यूटर GIGO– Garbage in Garbage out के सिद्धांत पर कार्य करती है।
अब प्रश्न उठता है कि कंप्यूटर का जनक (Father of computer) कौन है?
तो जवाब होगा चार्ल्स बैबेजी, उन्होंने 1835 ईस्वी में Analytical Engine का आविष्कार किया जोकि आधुनिक कंप्यूटर का आधार बना।
कम्प्युटर का पूरा नाम क्या है? – Computer Full Form
कंप्यूटर का उपयोग काफी क्षेत्रों में होता है इसलिए इसका विस्तारित रूप भी अलग अलग हो सकता है किंतु जैसा कि मैं हम अध्ययन किए उसके अनुसार (Computer का फुल फॉर्म) full form of computer कुछ इस प्रकार है
C — Common
O —Operating
M —Machine
P —Particularly
U — Used in
T — Technology
E— Education and
R —Research
What is computer in Hindi
कम्प्युटर का परिचय हिंदी में – Introduction of computer in Hindi
Computer एक ऐसा मशीन है, जो अकेले काम नहीं कर सकती उन्हें काम करवाने के लिए उपकरणों यानी डिवाइस और प्रोग्राम का होना अति आवश्यक है। जैसा कि आप सुने होंगे हार्डवेयर-सॉफ्टवेयर ( Hardware and Software) इसके बिना तो कंप्यूटर बनी नहीं सकता।
हार्डवेयर के अंतर्गत हमारा सिस्टम यानी सीपीयू, मॉनिटर, कीबोर्ड, माउस इत्यादि तथा सॉफ्टवेयर के अंतर्गत प्रोग्राम होते है जिसके द्वारा कंप्यूटर काम कर पाती है।
Computer के विभिन्न उपकरण
1. System Unit (सिस्टम यूनिट)
System Unit या एक बख्शी जैसा होता है इसमें मदरबोर्ड प्रोसेसर आदि यंत्र लगे रहते हैं जिसके माध्यम से कंप्यूटर कार्य करने के योग होते हैं । System unit इसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट ( CPU- central processing unit) भी कहते हैं।
2. Monitor (मॉनिटर)
यह एक Output डिवाइस है जिस पर हमें दिए गए इनपुट का रिजल्ट प्राप्त होता है यह टेलीविजन जैसा होता है आ,एलईडी मॉनिटर भी आने लगी है।
3. Keyboard (कीबोर्ड)
Keyboard एक इनपुट उपकरण है जिसके माध्यम से हम कंप्यूटर में डाटा को निर्देशित करते हैं। इसमें भिन्न भिन्न प्रकार के बटन होते हैं जिसके माध्यम से आंकड़े को सीपीयू तक पहुंचाते हैं और processing के बाद हमें output प्राप्त होता है।
4. Mouse (माउस)
यह एक इनपुट डिवाइस( input device) है जिसके माध्यम से computer को निर्देशित करते हैं और कंप्यूटर में जो program दिया गया है उसमें से किसी खास को select कर सकते हैं ।
Mouse में मुख्य रूप से दो बटन होते हैं Left & Right
5. Speakers (स्पीकर्स)
Speakers एक आउटपुट डिवाइस है जिसके माध्यम से हम कंप्यूटर में आवाज को सुन पाते हैं। जैसे– गाना, प्रोग्राम, गेम्स फिल्म इत्यादि
6. Printer (प्रिंटर)
Printer भी आउटपुट Device है जिसके द्वारा Computer के विश्लेषित Data को कागज पर प्राप्त करते हैं।
कम्प्युटर की विशेषताएं – Characteristics of Computer in Hindi
आज की दौड़ में computer हमारे जीवन का parts बन चुका है, बहुत सारे वर्क कंप्यूटर पर ही निर्भर है। ये हमारे कामों को काफी आसान बना दिये । हजारों मजदूरों का काम (work) कंप्यूटर अकेले कर लेते है वह भी शुद्धता से।
कंप्यूटर की कुछ विशेषताएं इस प्रकार है।
1. Speed (गति )
कंप्यूटर काफी तेज गति (speed) से हमारे द्वारा दिए निर्देशों को संपादित करते हैं, यह लाखों निर्देशों को सेकंडों में संसाधित कर सकते हैं।
प्रोसेसर processor की एक unit की गति 10 लाख निर्देश प्रति सैकण्ड यानि MIPS (Millions of Instructions Per Second) कंप्यूटर की प्रमुख विशेषता है।
2. Accuracy (शुद्धता)
कम्प्युटर Garbage in Garbage Out के सिद्धांत पर कार्य करती है। यदि हम गलत इंस्ट्रक्शन देते हैं तो परिणाम भी गलत ही आता है, और त्रुटि रहित इंस्ट्रक्शन को त्रुटि रहित परिणाम दिखाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इनकी शुद्धता मानव परिणामों की शुद्धता से काफी अच्छा रहता है।
कंप्यूटर की एक्यूरेसी काफी उच्च होता है।
3. Diligence (परिश्रमी)
परिश्रमी (Diligence) यह शब्द कंप्यूटर के लिए काफी सटीक बैठता है। यह कभी थकते नहीं है काफी मेहनती मशीन (Laborious Machine) है। जो बिना रुके, बिना थके काम को शुद्धता पूर्ण ढंग से हमारे सामने result प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार कह सकते हैं कंप्यूटर निर्देशों को एकाग्रता पूर्ण, मेहनत और शुद्धता से पूरा करके दिखाते है।
4. Versatility (बहुप्रतिभा)
कंप्यूटर एक बहुद्देशीय मशीन है, जो एक समय में भिन्न-भिन्न उद्देश्य पूर्ति में सहायक है। इसके द्वारा हम ईमेल, वीडियोग्राफी एडिटिंग, ऑडियो एडिटिंग, टाइपिंग, रिपोर्ट तैयार करना, डाटा एंट्री (email, videography editing, audio editing, typing and reports etc) जैसी अनेक जरूरी काम कर सकते हैं।
5. Automation (स्वचालित)
ऑटोमेशन (Automation) भी कंप्यूटर की एक विशेषता है। बहुतों ऐसी कार्य है जिसे मनुष्य के हस्तक्षेप के बिना ये आसानी से कर लेते हैं इस प्रकार हम कह सकते हैं स्वचालित तथा इनकी खास विशेषता है।
6. Communication (संप्रेषण)
कंप्यूटर में एक (Electronic Device) इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से दूसरे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के बीच (communication) संप्रेषण यानी बातचीत संभव हैं। यह नेटवर्क के माध्यम से डाटा का आदान-प्रदान करते हैं। इस प्रकार कम्युनिकेशन कंप्यूटर की एक विशेषता में से एक है।
7. Storage Capacity (भंडारण क्षमता)
कंप्यूटर में डाटा को भंडार करने की क्षमता (storage Capacity ) विशाल होती है इनके मेमोरी में काफी जगह होते है। जब हमें किसीी डाटा का जरूरत होता तो शीघ्र हमें प्रदान किया जाता है।
8. Reliability (विश्वसनीयता)
Computer एक विश्वसनीय (Reliability) मशीन है, जिस पर लंबे समय तक विश्वास किया जा सकता है। यह भरोसेमंद है, अब इनका रखरखाव भी आसान हो गया है।
9. Nature Friendly (प्रकृति का दोस्त)
कंप्यूटर जब हमारा कार्य करता है तो इसके लिए वह हमसे कुछ मांगता नहीं। वह हमारे द्वारा निर्देशित डाटा को सुरक्षित रखते है और जब हमें जरूरत पड़ता तो हमें शीघ्र अति शीघ्र प्रदान कर देता है।
ये कागजी दस्तावेज (paper documents) नहीं बनाते इसलिए हम कह सकते हैं कि कंप्यूटर अप्रत्यक्ष रूप से प्राकृति के दोस्त हैं। इसमें लागत भी काफी कम लगता है और काम का परिणाम शीघ्र प्राप्त होता है।
कम्प्युटर का इतिहास – History of Computer
चीनियों ने अबेकस का आविष्कार किया उसके बाद विभिन्न प्रकार के Automatic machine अस्तित्व में आई और चार्ल्स बैबेज द्वारा बना automatic engine आज के कम्प्युटर का आधार बना।
कंप्यूटर के इतिहास (history of computer) के विषय में इस प्रकार देख सकते हैं।
Abacus दुनिया का पहला calculator था जिसके द्वारा सामान्य गणना (जोडना, घटाना’, + -) की जा सकती थी। इसका आविष्कार लगभग 2500 वर्ष पूर्व चीनीयों द्वारा किया गया।
1017 में John Napier ने “Rabdology” नाम के अपनी पुस्तक में अपने गणितीय उपकरण का जिक्र किया।
इस डिवाइस द्वारा जोडना, घटाना, गुणा, भाग भी किये जा सकते थे.
John Napier के कुछ वर्षों के बाद 1620 ईस्वी आसपास William Oughtred ने “Slide Rule” का आविष्कार किया। अब कंप्यूटर के द्वारा गुणा, भाग, वर्गमूल, त्रिकोणमीतिय जैसी गणनाएं की जा सकती थी। इस प्रकार यह कार्य लगातार चलता रहा।
Charles Babbage’ को आधुनिक कम्प्युटर का जनक कहते हैं उन्होंने 1822 में बहुपदीयफलन का सारणीकरण करने के लिए एक automatic (calculator) कैलकुलेटर का आविष्कार किया।
यह आकार में बहुत बड़े था और इसे भाप द्वारा चलाई जाती थी।
इसके बाद 1833 में Analytical Engine का डिजाइन किया गया। इस कंप्यूटर में वे सभी चीज मौजूद थे, जो कि अभी के कंप्यूटर में हुआ करता है।
अब धीरे-धीरे कंप्यूटर का विकास बढ़ता गया। नई-नई तकनीकें हमारे सामने आने लगे विज्ञानिक जोर शोर से इस काम को आगे बढ़ाने लगे।
अब विकास के क्रम को कैसे देखा जाए इसके लिए वैज्ञानिक कंप्यूटर के पीढ़ियों Computer Generations के रूप में बांटे।
Generations of Computer
Computer का विकास लगभग पिछले 70- 80 वर्षों में जो यात्रा किये यानी वेक्यूम ट्यूब Vacuum Tube से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस Artificial intelligence तक आये, ये बहुत ही बड़ा दौड़ रहा।
कंप्यूटर के विकास का यह दौर जनरेशन ऑफ कंप्यूटर (generation of computer) के नाम से जाने जाते हैं। हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर में बदलाव होता गया और इस प्रकार कंप्यूटर के पांच पीढ़ियां निर्धारित की गई।
इस Educational पोर्टल में, हम कंप्यूटर के पांच पीढ़ियों के बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे और हम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं।
वैज्ञानिक इन दिनों उपयोग करने वाले कई कंप्यूटिंग उपकरणों के विकास में लगे हैं। कंप्यूटर की पांच पीढ़ियों की हमारी यात्रा 1940 में वैक्यूम ट्यूब सर्किट्री के साथ शुरू होती है और वर्तमान दिनों तक जाती है – और उससे आगे – कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) सिस्टम और उपकरणों के साथ जारी रहेगी।
यहां हम कंप्यूटर जनरेशन को पीढ़ी दर पीढ़ी देखने का प्रयास करेंगे, ताकि हम अच्छे से समझ सके।
First Generations of Computer (कम्प्युटर की प्रथम पीढि)
Vacuum Tubes (1940-1956)
John Ambrose Fleming ने Vacuum Tube का आविष्कार 1904 में किया। वैसे तो 1946 ईस्वी को प्रथम पीढ़ी माना जाता है। इस समय दो महान वैज्ञानिक आए J.P. Eckert और J.W. Mauchy जिन्होंने Vacuum Tube को आधार मानकर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस यानी कंप्यूटर का निर्माण किया था।
उस समय magnetic tape, paper tape और punch card ये इनपुट-आउटपुट डिवाइस के रूप में प्रयोग होते थे। इस डिवाइस का वजन काफी अधिक होता था, इसके रखरखाव में भी अधिक स्थान की जरूरत होती थी।
First generation computer के उदाहरण UNIVAC और ENIAC है। UNIVAC एक व्यावसायिक ग्राहक को दिया गया, यही पहला व्यावसायिक कंप्यूटर था जिसका प्रयोग 1951 में अमेरिकी जनगणना ब्यूरो में किया गया था।
First Generations of Computer Names (प्रथम पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम )–
1. ENIAC– Electronic Numeric Integrated and Calculator
2. EDVAC
3. UNIVAC
4. IBM-701 etc
Second Generations of Computer (कम्प्युटर की दूसरी पीढि )
Transistors (1956-1963)
इसके बाद से कंप्यूटर सिस्टम में मल्टीप्रोग्रामिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi-Programming Operating Systems ) का प्रयोग होने लगा। FORTONऔर COBOL जैसी भाषाओं का इस्तेमाल होने लगा।
Second Generations of Computer Names (दूसरी पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम )–
1. Honeywell 400
2. IBM 7094
3.CDC 1604
4. UNIVAC 1108
5. IBM 1400 Series. etc
Third Generations of Computer (कम्प्युटर की तीसरी पीढि ) —
Integrated Circuits (1964-1971)
Third Generations of Computer Names (तीसरी पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम )–
1. PDP-8
2. PDP-11
3. ICL 2900
4. IBM 360 Series
5. Honeywell 6000 Series
6. TDC-B16 etc
Fourth Generations of Computer (कम्प्युटर की चौथी पीढि)
Microprocessors (1971 to Present)
कम्प्युटर की चौथी पीढि की शुरुआत 1971-1980 तक मानी गई हैं। अब आईसी ( IC ) को और भी अधिक विकसित किया गया। माइक्रोप्रोसेसर (microprocessor) कंप्यूटर को चौथी पीढ़ी में लाया, क्योंकि हजारों सर्किट एक एकल सिलिकॉन चिप पर फिट किए जा सकते थे।
अब कंप्यूटर सिस्टम जो पहले पीढ़ी में था, उतना तो हाथ की हथेली में फिट हो सकता है। इंटेल 4004 चिप, 1971 में विकसित हुआ।
इसी समय GUI (Graphical User Interface) का भी विकास हुआ Windows, Mac OS का निर्माण हुआ। Microsoft और Apple जैसी कंपनियां आई जो कि हम वर्तमान में देख रहे हैं।
जैसे-जैसे कंप्यूटर शक्तिशाली बनता गया, उसे नेटवर्क से जोड़ने का प्रयास किया गया, और इससे इंटरनेट का विकास हुआ।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर की कुछ विशेषताएं इस प्रकार है— इसमें माउस-कीबोर्ड का प्रयोग होता है, हम आसानी से इंटरनेट का प्रयोग कर सकते है, यह काफी तेजी से काम करता है।
इस कंप्यूटर के लिए AC की जरूरत नही होती Fan इन बिल्ड होता है। ये C, C++, .net जैसी भाषाओं का प्रयोग कर सकते हैं।
Fourth Generations of Computer Names (चौथी पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम )–
1. IBM 4341
2. DEC 10
3. STAR 1000
4. PUP 11
5. PCs etc
Fifth Generations of Computer (कम्प्युटर की पांचवी पीढि )–
Artificial Intelligence (Present and Beyond)
1980 से आज तक पांचवी पीढ़ी का कंप्यूटर ( Fifth Generations of Computer) है। अब कंप्यूटर का आकार छोटे होते जा रहे हैं और काम काफी तेजी से हो रही है, क्योंकि एक ULSI Based Microprocessor में एक करोड इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेट समा सकते हैं।
अब कंप्यूटर में ULSI (Ultra Large Scale Integrated Circuit Based Microprocessors) का प्रयोग हुआ करते हैं।
पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर में हमें वे सभी फैसिलिटी मिलने वाले हैं जो लोग सोचते हैं इसलिए Artificial Intelligence, Internet of Things, Robotics आदि तकनीकों का विकास हो रहा है।
इस पीढ़ी के कंप्यूटर काफी हल्के होते हैं, रखरखाव के लिए कोई झंझट नहीं, बिजली कम लेती है और इसमें C, C++, Java, .net, ASP इत्यादि का प्रयोग आसानी से कर सकते हैं।
Fifth Generations of Computer Names (पांचवी पीढि के कुछ कम्प्युटरों के नाम )–
Desktop PC, Macbooks, Laptops, Notebooks, iPhone etc
Types of Computer कंप्यूटर के प्रकार
दोस्तों अब हम कंप्यूटर के प्रकारों के विषय में जानेंगे। कंप्यूटर कितने प्रकार के होते हैं।
Application के आधार पर Computer को तीन भागों में बांटा गया है —
1. Analog Computer
Analog Computer के द्वारा भौतिक दशाओं जैसे दाब, तापमान, लंबाई, ऊंचाई आदि को दर्शाने में प्रयोग किया जाता है। इनका परिणाम ग्राफीय होता है। एनालॉग कंप्यूटर आंकड़े को संचित नहीं कर सकते, इस कंप्यूटर का प्रयोग शिक्षा, तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में मुख्य रूप से होता है। थर्मामीटर और बैरोमीटर एनालॉग कंप्यूटर का उदाहरण है।
2. Digital Computer
ये Computer, Analog Computer से बिल्कुल अलग होता है। इस कंप्यूटर में सूचना अंक symbol के रूप में दिया जाता है, और उसे प्रोसेस करने के बाद परिणाम result प्राप्त होता है।
डिजिटल कंप्यूटर ( Digital Computer) Binary System यानी 0,1 पर कार्य करता है। इस कंप्यूटर के माध्यम से गणना शुद्ध शुद्ध कर सकते हैं, यह सूचना को (Store) एकत्र रखता है। जैसेCalculator यह डिजिटल कंप्यूटर का उदाहरण है।
3. Hybrid Computer
ये Computer, Analog Computer और Digital Computer का मिश्रित रूप होता हैं, इनमें दोनों विशेषताएं पाए जाते हैं। Hybrid Computer काफी तेजी से और शुद्धता से परिणाम प्रदान करता है। इस कंप्यूटर का प्रयोग गणित के कठिन समस्याओं, समीकरणों, वैज्ञानिक अनुसंधान में, पेट्रोल पंप मशीन, वायुयान इत्यादि में प्रयोग होता है।
Size के आधार पर Computer को पांच प्रमुख भागों में रखा गया है।
1. Micro Computer माइक्रो कंप्यूटर
इस कंप्यूटर का इस्तेमाल सबसे अधिक हो रहा है क्योंकि यह सस्ता, हल्का और छोटा होता है। इस कंप्यूटर का उपयोग मनोरंजन, शिक्षा और कार्यालय में होता है। PCs, Notebooksऔर Laptops माइक्रो कंप्यूटर का उदाहरण है।
2. Work Station वर्क स्टेशन
वर्क स्टेशन ऐसा कंप्यूटर है जो नेटवर्क से जुड़कर काम करता है। इसे व्यवसाय को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है ।यह माइक्रो कंप्यूटर से काफी तेज होता हैं और इनकी क्षमता उच्च होती है।
3. Mini Computer मिनी कंप्यूटर
मिनी कंप्यूटर एक सिंगल यूजर के लिए नहीं होता इस कंप्यूटर को किसी कंपनी के खास विभाग के कार्य के लिए उपयोग किए जाते हैं। Mini Computers को ही ‘Mid range Computer’ भी कह सकते हैं।
4. Mainframe Computer मैनफ्रेम कंप्यूटर
Mainframe Computer ऊपर वर्णित सभी कंप्यूटर से बिल्कुल भिन्न होता है। इसकी क्षमता बहुत अधिक होती है इसका प्रयोग सरकारी प्रतिष्ठानों में होता है।
इस कंप्यूटर का प्रयोग आंकड़ों को एकत्रित करने के लिए किया जाता है। यह काफी सिक्योर कंप्यूटर होता है।
5. Super Computer सुपर कंप्यूटर
Super Computer काफी शक्तिशाली विशाल और बहुत खर्चीले होते हैं। इसका उपयोग बड़े-बड़े संगठनों में शोधकर्ता मौसम विज्ञानी, वैज्ञानिक अपने अनुसंधान कार्य में प्रयोग करते हैं। भारत का सबसे तेज (super computer) सुपर कम्प्युटर Pratyush & Mihir हैं.
आजकल हम लोग बहुत से ऐसे काम है जो आपने एंड्राइड मोबाइल से कर लेते हैं। यह भी कंप्यूटर के सिद्धांत पर ही काम करती है।
सॉफ्टवेयर क्या हैं? (What is Software?)
Software निर्देश और programs का समूह होता है जो कंप्यूटर को कार्य करने के लिए निर्देशित करता है। सॉफ्टवेयर के बिना कंप्यूटर कोई काम का नहीं, एक डब्बा मात्र है। सॉफ्टवेयर को देख तथा छू नहीं सकते है।
MS Office, Adobe reader, CorelDRAW, Pagemaker, FL Studio और cubase etc ये सॉफ्टवेयर के उदाहरण है।
Also Read — What is software in Hindi ?Click here
Types of Software in Hindi
सॉफ्टवेयर को दो प्रमुख भागों में बांटा गया है
पहला System Software और दूसरा Application Software
1. System Software
यह सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच नियंत्रण स्थापित करता है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से दोनों के बीच कम्युनिकेशन बना रहता है। कंप्यूटर दूसरे सॉफ्टवेयर ् को सही से समझ पाता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर के अंतर्गत Operating System और Utilities है।
Operating System
Operating System यूजर और कंप्यूटर के बीच मध्यस्था का कार्य करता है। यह कंप्यूटर को समझाता है कि यूजर क्या करना चाहता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम का उदाहरण इस प्रकार है–Windows, Linux, Android इत्यादि
Utilities
इसे सर्विस प्रोग्राम भी कह सकते हैं। यूटिलिटीज को कंप्यूटर में सुरक्षा हेतु प्रयोग करते हैं। जैसे एंटीवायरस यह यूटिलिटी प्रोग्राम है।
Device Drivers
डिवाइस ड्राइवर के द्वारा इनपुट आउटपुट उपकरणों को कंप्यूटर से जोड़ सकते हैं, ताकि कंप्यूटर सही से काम कर सके। जैसे ऑडियो ड्राइवर्स (Audio drivers) ग्राफिक ड्राइवर्स (Graphic drivers) इत्यादि
2. Application Software
Application Software को End User सॉफ़्टवेयर कहते है, इसे ‘Apps’ भी कहते है. Application Software के द्वारा यूज़र कंप्यूटर पर काम कर पाते हैं।
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर भी कई तरह के होते हैं
Basic Application
बेसिक एप्लीकेशन का प्रयोग हम रोजमर्रा के कार्यों के लिए करते हैं। यदि हम कंप्यूटर पर काम करते हैं तो हमें कंप्यूटर का बेसिक नॉलेज आना ही चाहिए।
Word Processing Programs, D.T.P Programs,
Spreadsheet Programs, Web Designing Program और Graphics Application etc
Specialized Application
Specialized Application इस सॉफ्टवेयर का निर्माण किसी विशेष उद्देश्य के लिए होता है। इसमें विशेष कार्य के लिए विशेष प्रकार के प्रोग्राम बनाए जाते हैं।
जैसे — Accounting Software, Billing Software, Report Card marker इत्यादि
अब प्रश्न यह उठता है कि सॉफ्टवेयर कैसे बनता है?
सॉफ्टवेयर बनाने के लिए हमें प्रोग्रामिंग लैंग्वेज आनी चाहिए। Java, C, C++ जैसी भाषाओं का ज्ञान होना अति आवश्यक है। यदि सॉफ्टवेयर के फिल्ड में काम करना है तो प्रोग्रामिंग और कंप्यूटर कोडिंग का ज्ञान होना आवश्यक है।
हार्डवेयर क्या हैं What is Hardware in Hindi?
कंप्यूटर का भौतिक भाग, जिसे हम देख सकते हैं और छू सकते हैं, हार्डवेयर कहलाता है। हार्डवेयर में सॉफ्टवेयर डालने पर कंप्यूटर जीवित अवस्था में काम करता है, बिना सॉफ्टवेयर का हार्डवेयर कोई काम का नहीं। यह कंप्यूटर का शरीर है।
कंप्यूटर हार्डवेयर के प्रमुख प्रकार है
?Computer Hardware से संबंधित वीडियो ?
??? ऊपर के वीडियो को जरूर देखें???
Type of Compute Hardware in Hindi?
1. System Unit
इसे सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के नाम से भी जानते हैं, इसका संक्षिप्त रूप CPU है। यह कंप्यूटर का मस्तिष्क है। सिस्टम यूनिट के अंदर निर्देशित डाटा का प्रोसेसिंग होता है और आउटपुट हमें प्राप्त होता है।
2. Input Devices
Input Device वे सारे उपकरण है, जिसके द्वारा कंप्यूटर में निर्देश भेजा जाता है। जैसे– mouse, keyboard, touch screen, scanner, Mic etc
3. Output Devices
वे उपकरण जो processed सूचनाओं को दर्शाता है यानी रिजल्ट दिखता output device कहलाता है। जैसे — Monitor, Printer, Speaker इत्यादि
4. Internal Parts
यह CPU के आंतरिक भाग में होते है ये काफी नाजुक होते हैं । इसीलिए बॉक्स के अंदर सुरक्षित रूप से फिक्स किया जाता है। Hard Disk Drive, RAM, DVD Writer, Motherboard इत्यादि आंतरिक भाग का उदाहरण है।
5. Communication Devices
कम्युनिकेशन डिवाइस के माध्यम से हम एक कंप्यूटर को दूसरे कंप्यूटर से जुड़ सकते हैं इसका सबसे अच्छा उदाहरण मॉडेम है।
यदि लैपटॉप या कम्प्यूटर हैंग हो रहा है तो यह Trick जरूर फॉलो करें
दोस्तों लैपटॉप हो या डेक्सटॉप यह समस्याएं कभी कभी आती ही रहती है। यदि आपका सिस्टम हैंग कर रहा है, तो दिए गए इंस्ट्रक्शन को जरूर फॉलो करें —-
सबसे पहले Shift Ctrl Esc बटन दबाएँ।
उसके बाद आपके सामने में एक बॉक्स खुलकर आ जाएगा हमें
— ” END TASK ” बटन पर क्लिक क्लिक करना है।
अब हम देखेंगे कंप्यूटर या लैपटॉप चलना शुरू हो गया। इस प्रकार यदि हमारा सिस्टम हैंग कर रहा है तो इसे अपनाकर हैंग की समस्या को दूर कर सकते हैं।
यदि आपके पीसी का कीबोर्ड सही से काम नहीं कर रहा है तो यह काम जरूर करें।
आपको टाइपिंग का काम करना है। कीबोर्ड काम नहीं कर रही है तो क्या करें। इस स्थिति में घबराने का नहीं है। हमें दिए गए ट्रिक को फॉलो करना है, यहां हम स्टेप बाय स्टेप देखेंगे
स्टेप 1 —- Run में जाएं और
स्टेप 2 —-osk टाइप करें
आपके सामने ऑन स्क्रीन कीबोर्ड ( On-Screen Keyboard) आ जाएगा
अब आप Mouse की सहायता से मस्ती में टाइपिंग का काम कर सकते हैं। विशेष परिस्थिति में इसका प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि कीबोर्ड पर काम करने में जो स्पीड मिलता है, उतना स्पीड तो नहीं मिल पाएगा किंतु कोई जरूरी का काम है तो उसे निपटा सकते हैं।
अपने कम्प्यूटर का पूरा Specification ऐसे देखें
कंप्यूटर का स्पेसिफिकेशन देखने के लिए नीचे दिए गए इंस्ट्रक्शन को फॉलो कर सकते हैं जैसा कि नीचे बताया गया है — सबसे पहले Run में जाना है, उसके बाद dxdiag टाइप करना है और फिर इंटर बटन दबाना है। स्टेप नीचे दिया गया है।
Step 1– Run में जाएँ.
Step 2– टाइप करें dxdiag
Step 3– Enter दबाएँ.
अब हम अपने PC के सभी Specification आसानी से देख सकते हैं।
कंप्यूटर मेमोरी Computer Memory
कंप्यूटर मेमोरी यह कंप्यूटर का एक अहम हिस्सा होता है ये आंतरिक भंडार का जगह है। कंप्यूटर पर जो हम work करते हैं उसे संग्रह करके रखने के लिए मेमोरी का होना अति आवश्यक है।
मेमोरी मुख्य रूप से अनेक सेलो में बंटे होते हैं जिसे हम लोकेशन Location कहते हैं।
कंप्यूटर के अंदर data बाइनरी कोड के रूप में Store रहता है, जिसे 0 और 1 के रूप में व्यक्त करते हैं।
1 का मतलब होता है on तथा 0 का मतलब होता है off.
1KB (किलोबाइट)= 1024 बाइट
1 MB (मेगा बाइट) = 1024 KB
1GB (गीगाबाइट)= 1024 MB
मेमोरी मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं
Primary memory (प्राइमरी मेमोरी) प्राथमिक मेमोरी
Secondary memory (सेकेंडरी मेमोरी) द्वितीयक मेमोरी
What is Primary memory? (प्राथमिक मेमोरी क्या है? )
Primary memory को मुख्य मेमोरी के नाम से भी जानते हैं इसके अंतर्गत हम निम्न मेमोरी का अध्ययन करते हैं।
1. ROM — Read only Memory इस मेमोरी के अंतर्गत संचित data को हम सिर्फ पढ़ सकते हैं। इसे परिवर्तित नहीं कर सकते। यह mother board के ऊपर स्थित रहता है, जोकि सिलिकॉन से बना होता है। कंप्यूटर के switch off होने के बाद भी प्रोग्राम नष्ट नहीं होता।
2. PROM —- (programmable read only memory) यह एक स्थाई मेमोरी होता है यदि एक बार यहां हम डाटा को burnt कर देते हैं तो फिर इसे बदलना असंभव है।
3. E-PROM —- ( erasable programmable read only memory) यह भी स्थाई मेमोरी है किंतु इसे पराबैगनी किरणों की सहायता से Burnt प्रक्रिया को दोहराया जा सकता है।
4. Cache memory —- यह प्रोसेसिंग यूनिट और मुख मेमोरी के बीच का भाग है। यहां बार-बार उपयोग किए जाने वाले डाटा को संचित करके रखा जाता है ताकि मेमोरी और प्रोसेसर के बीच का गति बाधित न हो. Cache memory को इस प्रकार देखा जा सकता है जिसका स्टेप नीचे हैं–
Primary memory —->Cache memory —-> CPU
5. RAM ——( Random access Memory) हमारे कंप्यूटर में सबसे अधिक इसी मेमोरी का प्रयोग होता है। इसकी क्षमता जितनी अधिक होती है हमारा सिस्टम उतना ही फास्ट काम करती है।
यह अस्थाई मेमोरी होता है। काम करते समय विद्युत चले जाने पर अर्थात विद्युत सप्लाई बंद हो जाने पर इस मेमोरी के अंतर्गत संग्रहित डाटा नष्ट हो जाते है।
रैम (RAM) निम्न क्षमता में उपलब्ध है
64MB, 128MB, 256MB, 512MB, 1GB, 2GB, —- —– इत्यादि। RAM दो प्रकार के होते हैं
(a) Dynamic RAM —-इसे बार-बार refresh नहीं कर सकते यह सस्ता होता है।
(b) Static RAM— इसमें डाटा को refresh करने की आवश्यकता नहीं होती।
What is Secondary Memory? (द्वितीयक मैमोरी क्या होती हैं?)
Secondary memory को External (अतिरिक्त) और Non-Volatile Memory भी कह सकते हैं।
इस मेमोरी का इस्तेमाल डाटा को Permanently Store करने के लिए करते हैं। यहां संग्रहित डाटा हमेशा सुरक्षित रहता है। कंप्यूटर और यूजर आसानी से (Access) एक्सेस कर सकता है।
पहले यह मेमोरी में स्टोर होता है, इसके बाद ही CPU इसे इस्तेमाल कर सकता हैं।
इस मेमोरी की Storage Capacity काफी अधिक होती है ।
जैसे—– Hard-Disks, CD, DVD, Pan Drives इत्यादि.
CD compact disc
Hard disk
Pen drive
Secondary Memory की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं
सेकेंडरी मेमोरी स्थाई होता है यहां डाटा सुरक्षित रहता है इसकी गति थोड़ी कम होती है और स्टोर करने की क्षमता काफी अधिक होती है। काम खत्म होने के बाद या कंप्यूटर बंद होने के बाद भी data सुरक्षित रहता है।
Computer Memory Units कंप्यूटर मेमोरी यूनिट
कंप्यूटर मेमोरी में डाटा 0 और 1 के रूप में संचित रहता है इसे (Binary Digits )बाइनरी डिजिट या bit भी कहते हैं।
इसका प्रत्येक अंक 1-bit होता है। कंप्यूटर मेमोरी का सबसे छोटी इकाई Bit होता है। 8 Bits = 1 Byte होता है।
—- Bit = 0 या 1
—- 4 Bit = 1 Nibble
—– 2 Nibble और 8 Bit = 1 Byte
—— 1024 Byte = 1 KB (Kilo Byte)
—– 1024 KB = 1 MB (Mega Byte)
—– 1024 MB = 1 GB (Giga Byte)
—– 1024 GB = 1 TB (Tera Byte)
—– 1024 TB = 1 PB (Penta Byte)
—— 1024 PB = 1 EB (Exa Byte)
—- 1024 EB = 1 ZB (Zetta Byte)
—– 1024 ZB = 1 YB (Yotta Byte)
—- 1024 YB = 1 BB (Bronto Byte)
—– 1024 BB = 1 GB (Geop Byte)
Note:- Bit को अंग्रेजी के छोटे “b” से सूचित करते हैं जबकि Byte को अंग्रेजी के बडे “B” से
जैसे—- 200 Mbps को 200 MBps के बराबर नही मान सकते हैं।
दोनों का अर्थ इस प्रकार हैं–
200 Mbps —– 200 Mega Bits Per Second है।
200 MBps—– 200 Mega Byte Per Second होता हैं।
इस प्रकार हम देखते हैं कि दोनों का अर्थ बदल रहा है। अतः b और B को एक ही समझना बहुत बड़ी भूल है।
Operating System किसे कहते हैं? What is operating system?
Operating System का संक्षिप्त रूप OS है, यह एक प्रोग्राम है जो हमारे कंप्यूटर के अन्य प्रोग्रामों को संचालित करने में मदद करती है। हम यह भी कह सकते हैं कि ये यूज़र और कंप्यूटर के बीच मध्यस्था का काम करती है।
हमारे द्वारा दिए निर्देशों को कंप्यूटर को समझाते है। ऑपरेटिंग सिस्टम के बिना कंप्यूटर किसी काम का नहीं, वह एक डब्बा मात्र है।
ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर को चलने लायक बनाता है और हम उस पर आसानी से काम कर सकते हैं।
Operating System के कुछ कार्य इस प्रकार है—
Operating System के बिना सिस्टम काम नहीं कर सकता।
Operating System यूजर को हार्डवेयर से संबंधित ढेर सारी सूचनाएं जिसकी हमें जरूरत नहीं होती है, उसे हमारे साथ शेयर नहीं करते इस प्रकार हम सिस्टम संबंधी सूचनाओं को हम नहीं देखते बल्कि हमारा जो काम होता है वही देख पाते हैं।
Operating System यह सूचना को हमें सरलता से प्रदान करता है जिससे कार्य आसान बन जाता है।
Operating System हार्डवेयर और यूजर के बीच मध्यस्था का काम करते हैं।
Operating System के प्रकार
1. Multi-user Operating System
इस Operating System में एक से अधिक यहां तक कि सैकड़ों यूजर साथ साथ काम कर सकते हैं।
2. Single-user Operating System
इस ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समय में केवल एक ही यूजर काम कर सकते हैं।
3. Multitasking Operating System
इस operating system में user एक साथ कई काम कर सकते हैं यानी कई program को ऑपरेट कर सकते हैं। उदाहरण के लिए ई-मेल लिखना और अपने दोस्तों के साथ chatting करना इत्यादि।
4. Multi Processing Operating System
यहां हम एक प्रोग्राम को एक से अधिक CPU पर एक्सेस कर पाते हैं।
5. Multi Threading Operating system
यह एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जहां प्रोग्राम के भिन्न-भिन्न भागों को एक साथ चला सकते हैं।
6. Real Time Operating System
यह एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो यूजर द्वारा दिए गए इनपुट पर शीघ्र प्रतिक्रिया शुरू कर देता है। जैसे Windows Operating System
Operating System यह हमारे कंप्यूटर का सबसे विशेष प्रोग्राम है। दोस्तों इसके बिना हम कंप्यूटर का कल्पना नहीं कर सकते। सिर्फ हार्डवेयर से कुछ होने वाला नहीं है।
अब हम लोग ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ विशेषताओं को देखते हैं।
Operating system की कुछ विशेषताएं
✓ कंप्यूटर में error और आने वाले खतरे के विषय में हमें सूचना प्रदान करते हैं।
✓ ये प्रोसेसर को मैनेज रखते हैं।
✓ कंप्यूटर से जुड़े सभी डिवाइस को संतुलन बनाए रखते हैं।
✓ यह कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों को मैनेज करते हैं।
✓ सिस्टम पर होने वाले कार्य का रिकॉर्ड बनाकर रखते हैं इत्यादि वैसे इनके और भी कार्य है।
दोस्तों हम यहां पर आपके लिए कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम प्रस्तुत कर रहे हैं, ताकि ऑपरेटिंग सिस्टम को नाम से जान सके।
जैसे—Windows xp, OS, Mac OS, Linux OS, iOS, Android OS, Ms-Dos etc
Functional Key : का प्रयोग
यदि हम कंप्यूटर पर काम करते हैं तो हमें फंक्शन कीज के विषय में जानना अति आवश्यक है। कीबोर्ड में 12 फंक्शन बटन होते हैं जो f1, f2, f3, f4 —— f12
यहां प्रत्येक फंक्शन बटन का अलग-अलग कार्य है हम एक एक कार्य को देखेंगे।
F1 – Help
जब हम F1 बटन दबाते हैं तो कंप्यूटर का हेल्प सेंटर खुलता है। हमें कंप्यूटर से संबंधित मदद के लिए यह ऑप्शन दिया गया है।
F2 – Rename
यह बटन काफी मददगार है जब हमें किसी फोल्डर का नाम बदलना होता है। उस समय फोल्डर पर Right क्लिक कर Rename ऑप्शन को चुनना पड़ता है। किंतु यह एक लंबा प्रक्रिया है इस स्थिति में हम सिर्फ f2 को दबाकर यह काम आसानी से कर सकते हैं।
F3 – Search
इसकी का प्रयोग हम तब करते हैं जब हमें कोई एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर खोजना होता है। F3 बटन के माध्यम से आपके बीच सर्च वाला विंडो खुल जाता है और आप आसानी से अपने एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर को ढूंढ सकते हैं।
F4 – Address Bar
F4 का प्रयोग ऑल्ट(alt) के साथ करते हैं। Alt+f4 दबाने पर सामने मौजूद एप्लीकेशन बंद हो जाता है, यदि हम डेक्सटॉप पर Alt+ F4 press करते हैं तो हमारे सामने shutdown वाला ऑप्शन आ जाता है इस स्थिति में हम सिस्टम को shutdown या रीस्टार्ट कर सकते हैं।
F5 – Refresh,Replace
इसकी key का प्रयोग कर पेज को रीलोड करते हैं और रिफ्रेश कर सकते हैं।
F6 – Spelling
यदि हम लैपटॉप में F6 को प्रेस करते हैं तो इससे आवाज को कम ज्यादा कर सकते हैं। और यदि हमारे सामने कोई ब्राउज़र वेबसाइट ओपन हो तो F6 दबा कर आसानी से url पर जा सकते है।
F8 – Safe Mode
यदि सेफ मोड में जाना है तो बूट के समय F8 दबाकर सेफ मोड में कंप्यूटर को open सकते हैं।
F10 – Menu Bar
इस फंक्शन key का प्रयोग ज्यादातर एमएस वर्ड में किया जाता है। इसे शिफ्ट (Sift) और (Alt) ऑल्ट को दबा कर करते है।
F11 – Resize
इस key की सहायता से ब्राउज़र को फुल स्क्रीन मोड में प्रयोग कर सकते है।
F12 – Save
मुख्य रूप से एमएस वार्ड में फाइल को सेव करने के लिए प्रयोग करते हैं।
यदि हम लैपटॉप में f12 बटन को दबाते हैं तो हमारे लैपटॉप फ्लाइट मोड में ओपन हो जाता है।
कमांड से कम्प्युटर का सीरियल नम्बर जाने
कंप्यूटर का सीरियल नंबर आप आसानी से जान सकते है। जानने के लिए आप कमांड का प्रयोग कर सकते हैं। यदि आपको नहीं पता है तो आप नीचे दिए गए कमांड का प्रयोग कर अपने कंप्यूटर का सीरियल नंबर की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Run मे जाए और वहां CMD टाइप करे और फिर Enter बटन प्रेस करे।
Run — > CMD—> Enter
अब नीचे दिए गए कमांड का प्रयोग करें
Serial Number पता करने के लिए नीचे दिए गए कमांड का प्रयोग करें।
wmic bios get serialnumber
अपने computer का सीरियल नम्बर जानने के लिए नीचे दिए गए कमांड का प्रयोग कर सकते हैं।
wmic csproduct get name , identifyingnumber
मॉडल नम्बर और UUID जानने के लिए नीचे कमांड है
wmic csproduct get uuid,name
BIOS वर्जन और Bios का नाम जानने के लिए नीचे दिए गए कमांड का प्रयोग करें।
wmic bios get name,version
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अब अगला पाठ आपके लिए नीचे लिंक है क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
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इस प्रकार दोस्तों को यहां हम लोग कीबोर्ड के फंक्शन बटन के विषय में जानकारी हासिल किए। इसे आप अपने दोस्तों के बीच में जरूर शेयर करें और हमारे यूट्यूब चैनल को भी विजिट कर सकते हैं।
Read more ( इसे जरूर पढ़ें लिंक नीचे)
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धन्यवाद
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Very informative post.
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Apne bahut hi achchi post likhi hai
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