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खीर किया चमत्कार ( हिन्दी कहानी) लेखक- राजहंस कुमार

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Khir Kiya chamatkar by Rajhans
Khir Kiya chamatkar by Rajhans

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कहानी के रचनाकार राजहंस कुमार है। इस कहानी के पात्र और घटनाएं काल्पनिक है। खीर किया चमत्कार ( हिन्दी कहानी) को अंत तक पढ़े।

खीर किया चमत्कार ( हिन्दी कहानी), लेखक- राजहंस कुमार

एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी। उनका कोई संतान नहीं था। एक छोटा सा घर था उसी में वह रहती थी। वह दिन भर गांव वालों का छोटा मोटा काम कर दिया करती थी। उसके बदले में गांव वाले उसे कभी भोजन, कभी कपड़े कभी कुछ बर्तन तो कभी कुछ पैसे दे दिया करते थे।

उसी से वह बुढ़िया अपना गुजर-बसर किया करती थी। लोगों के द्वारा उसे जो कपड़े और बर्तन मिलता उसे वह अपने घर में बड़ी शालीनता से रखती थी। उसे भगवान की कृपा से गांव वालों के द्वारा इतना मिल जाता था कि वह बहुत प्रसन्न थी और भगवान से उसे कोई शिकायत भी नहीं थी।

उसके पास खाने-पीने की वस्तुओं से लेकर पहनने ओढ़ने‌ और सामान्य जीवन जीने के लिए वह सारी सुविधाएं उपलब्ध थी जो अन्य व्यक्तियों के पास होता है। उस बुढ़िया का जीवन बहुत मजे में कट रहा था। एक दिन बुढ़िया अपने घर को साफ करने के लिए घर की सारी वस्तुएं बाहर आंगन में रख रही थी, क्योंकि सारी बर्तन कपड़े और अन्य सामान जो बहुत दिनों से घर में पड़े थे गंदे हो गए थे। इसलिए उसे भी साफ करना था।

बुढ़िया घर से एक-एक बर्तन और अन्य सामान को साफ करके अपने आंगन में रख कर घर साफ करने को चली गई। उसी समय उधर से दो चोर गुजर रहा था। दूर से ही उसकी नजर उस चमचमाती बर्तन पर पड़ी उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि यह बुढ़िया तो घर में अकेली रहती हैं इसे कमाने वाला भी कोई नहीं है फिर भी इसके पास इतना धन दौलत कहां से आया। क्यों ना एक रात आकर इसका सारा धन दौलत उड़ा लिया जाए। यही सोचता हुआ चोर वहां से चला गया।

फिर वह दोनों आपस में इस बुढ़िया के सामान को चंपत करने के लिए योजना बनाने लगा। इधर बुढ़िया इन सभी बातों से अंजान था क्योंकि उसके घर में जो भी सामान था वह एक भी उनका अपना नहीं था सब के सब उसे गांव वालों ने दिया था। इसलिए बुढ़िया को इस बात का कोई अंदाजा भी नहीं था कि उसके घर में कभी चोरी भी हो सकती हैं।

एक दिन बुढ़िया को गांव वालों ने दूध चीनी और चावल दिए । बुढ़िया बहुत खुश थी वह शाम के समय उस चावल दूध और चीनी से गरमा गरम खीर बनाई और उसे उसी चूल्हा पर ठंडा होने के लिए छोड़ दीया। वह सोची खीर जब ठंडा हो जाएगा तो खा लूंगी। वृद्ध होने के कारण वह तब तक अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई और खीर ठंडा होने का इंतजार करने लगी।

खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी इसलिए बुढ़िया कोआलस आगे गया और वहीं पड़ी पड़ी उसे नींद आ गई। कुछ ही समय में वह खर्राटे लेने लगी। उधर उसी रात वहीं दोनों चोर उस घर से सामान चंपत करने बुढ़िया के घर के पिछवाड़े वाले खिड़की से झांका। वह देखा की बुढ़िया गहरी नींद में सो रही है।

वह दोनों घर में प्रवेश किया । वह देखा कि उस बुढ़िया के घर में सामान तो है लेकिन सब टूटी फूटी अवस्था में है। चोर मायूस हो गया कि इतनी मेहनत से यहां चोरी करने आया और यहां तो चुराने के लिए कुछ है ही नहीं। इतने में एक चोर की नजर उस खीर पर पड़ी जो अभी भी काफी गर्म था।

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वह दोनों चोर ने सोचा कि सामान तो कुछ मिला नहीं तो क्यों ना जब यहां आ ही गए हैं तो खीर का आनंद लिया जाए। दोनों खीर खाने जैसे ही खीर की तरफ बढ़ा की एक चोर की नजर उस बुढ़िया पर पड़ी। वह देखा की बुढ़िया की मुंह खुली हुई है और उनका हाथ ऐसा खुला था मानो वह कुछ मांग रही हो।

वह दोनों चोर मुर्ख था उसे लगा कि यह बुढ़िया अब चलने फिरने और बोलने में असमर्थ है और शायद इसे दिखता भी कम है। इसीलिए यह इस प्रकार अपने हाथ फैला कर खीर मांग रही है। वह चोर दूसरे चोर से कहा, देखो मानवता भी कोई चीज होती हैं हम मानते हैं कि हम दोनों चोर हैं लेकिन हमारे पास भी दिल है ।

चलो पहले हम उस बुढ़िया को खीर खिला दें फिर हम लोग खा लेंगे बड़ा पुण्य होगा। उनमें से एक चोर एक बड़ा सा चम्मच लेकर उसमें खीर भर लिया और बुढ़िया की खुली मुंह में डाल दिया। खीर इतना गर्म था की बुढ़िया जोर से चीख पड़ी बचाओ, कोई बचाओ, मुझे मार डाला रे ‌।

यह चीख सुनकर एक चोर तुरंत ऊपर छुप गया और दूसरा खाट के नीचे। बुढ़िया की यह चीख सारे गांव वालों को सुनाई दिया। चीख सुनकर गांव के कई लोग वहां आ गए और बुढ़िया से पूछा क्या हुआ माई? बुढ़िया बोली मैं क्या जानू ,ऊपर वाला ही जाने। यह बात सुनकर ऊपर छुपा चोर बोला केवल ऊपर वाला हीं क्यों जाने, जो तुम्हारे खाट के नीचे छिपा है , वे क्यों न जाने।

लोगों को सारी बात समझ में आ गई। चोर अपनी मूर्खता से खुद ही अपना पोल खोल दिया। लोग उन दोनों चोर को बाहर निकाला और बहुत पिटाई किया। फिर चोरों को छोड़ दिया।

चोर जाते-जाते बोला अब चोरी करते वक्त कभी भी किसी पर दया नहीं करूंगा मैं दया करके बुढ़िया को खीर खिलाया और मुझे क्या मिला, दया के बदले में भरपेट मार। और सरपट भागा। लोग खिलखिला कर हंस पड़े।

खीर किया चमत्कार Code — gZaa987

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