पुष्प की विनती
एक पुष्प माली से कहा,
तुम मुझे कहां ले जाती हो ।
पड़ती है वीर की चरण जहां,
वह धरती मुझे बुलाती है ।।
चढ़ जाऊं राजा के शव पर ,
गहनों की शोभा बनू कहीं।
प्रेमी माला में गुथ जाना,
मेरे मन की यह भाव नहीं ।।
चढ़ता हूं देवों के सिर पर,
इसका मुझको अभिमान नहीं।
बन जाऊं प्रेमी की माला,
इसका मुझको अरमान नहीं।।
वीरों के दर्शन जब होते,
मैं धन्य बहुत हो जाता हूं।
हे माली मैं पुलकित होता ,
जब वीर कदम रज पाता हूं ।।
मातृभूमि की रक्षा को ,
जाते हैं लाखों वीर जहां।
मैं तुमसे करता हूं विनती,
मुझको केवल ले चलो वहां।।
धन्यवाद
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Nice poem