Dahej par kavita Rajhans
दहेज
जो बेटी है पतित -पावनी,
सौदा उनका किया जा रहा।
दहेज प्रथा रूपी ज्वाला में,
धक्का उनको दिया जा रहा।।
कैसी है यह प्रथा राक्षसी,
सुंदर समाज बर्बाद किया है।
बहुऐ॑ को कठपुतली बनाकर ,
उनके संग खिलवाड़ किया है ।।
इस प्रथा के परम वेग में,
बहती जा रही नारी जाति।
पैसे के बदले में देखो,
तौली जाती बहुएॅ॑ आज।।
जब से घर में आती बहुऐ॑,
ताना देती उनकी सास।
जला दिए जाते हैं उनको,
पैसा जब न आती हाथ।।
इतना ही दुःख दर्द नहीं है ,
दुःख का लगा हुआ अम्बार।
त्याग किया करते दुल्हन की,
तृष्णा करने को साकार।।
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