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कोशी Hindi Poem by Rajhans

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Hindi Poem by Rajhans
कोशी Hindi Poem by Rajhans
कोशी
अपनी तूफानी ताकत से,
 तुम आगे बढ़ती जाती है।
 अपने आगोश में ले सबको,
 तुम हाहाकार मचाती है।।
 अपनी चंचल जलधारा से ,
कभी फसलों को नहलाती हैं ।
कभी अजगर सा मुंह खोल के तुम,
 कितने घर को खा जाती है।।
 कहीं टीला बुर्ज बनाती हैं ,
कहीं मिट्टी को सरकारी हैं।
 कहीं झोपड़ियां को चट करके,
 लोगों को खूब रुलाती है ।।
मंदिर मस्जिद को लक्ष्य बना,
 अपने में उसे समा॑ लेती ।
उत्तेजित हो फिर राह बदल,
 कितने ही राह बना लेती‌।।
 तेरी तूफानी ताकत से,
 पत्थर दिल भी डर जाते हैं।
 कितने जीवन है मिट जाते ,
कितने मानव है मर जाते।।
 नदियों में सबसे ताकतवर,
 मां काली जैसी रोषी है।
 कहलाती हैं तुम शोक नदी,
 बिहार प्रांत की कोशी है ।।
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