Navratri Special 2024 Day 1: माता शैलपुत्री की पूजा आराधना का फल
माता शैलपुत्री, जो नवदुर्गा के पहले रूप में पूजी जाती हैं, का नाम शैल (पर्वत) और पुत्री (बेटी) से बना है, अर्थात् पर्वतराज हिमालय की पुत्री के नाम से जानते हैं। माता शैलपुत्री का रूप स्त्री शक्ति और साहस का प्रतीक है।
दुर्गा पूजा के पहले दिन शैलपुत्री की आराधना से भक्त अपने जीवन में स्थिरता और आंतरिक शक्ति प्राप्त करते हैं।
माता शैलपुत्री का स्वरूप
माता शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शांत है। माताजी नंदी बैल पर सवार है उनकी एक हाथ में त्रिशूल तथा दूसरे में कमल का फूल है।
हाथ में त्रिशूल आदित्य साहस का प्रतीक तथा कमल सौम्यता और पवित्रता को दर्शाता है। उनकी पूजा से भक्तों के जीवन में स्थायित्व, सुख, और समृद्धि का संचार होता है।
कथा: माता शैलपुत्री
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता शैलपुत्री का पूर्व जन्म में नाम सती था, जो भगवान शिव की पत्नी थीं।
माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित हुआ तत्पश्चात वह आत्मदाह कर लिया था। अगले जन्म में हिमालय के घर शैलपुत्री के रूप में जन्म ली।
माता शैलपुत्री भगवान शिव से विवाह करके सिर्फ पत्नी के रूप में प्रतिष्ठित हुई। अर्थात यह कथा माता की समर्पण, त्याग और शक्ति का प्रतीक के को दर्शाते हैं।
पूजा विधि:
नवरात्रि के प्रथम दिन, माता शैलपुत्री की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन उपासना करने से भक्तों को शांति, स्थिरता और जीवन में सही दिशा प्राप्त होती है। पूजा विधि इस प्रकार है:
1. कलश स्थापना: नवरात्रि प्रथम दिन पहले, शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर इसे सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
2. शुद्धिकरण: पूजा आराधना से पहले शुद्धिकरण का विशेष ध्यान रखा जाता है। स्वयं और पूजा स्थान का शुद्धिकरण किया जाता है। पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
3. मंत्रोच्चारण: माता शैलपुत्री का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
4. आरती: माता की आरती गाई जाती है और प्रसाद चढ़कर वितरण किया जाता है। माता को विशेष रूप से की से बने हुए भोग लगाए जाते हैं यह स्वास्थ्य और शक्ति का प्रतीक है।
शैलपुत्री पूजा का महत्व:
माता शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, मनोबल और साहस की प्राप्ति होती है। कठिनाइयों की स्थिति में सामना करने की शक्ति बढ़ती है। माता शैलपुत्री की पूजा और उपासना करने से भक्तों के मन से भय, अनिश्चितता और अस्थिरता समाप्त होती है।
इसके साथ ही, शैलपुत्री मां की पूजा से मन की शुद्धि और आंतरिक संतुलन प्राप्त होता है, जो आत्म-साक्षात्कार की दिशा में पहला कदम माना जाता है।
माता शैलपुत्री की कृपा से उन्हें मानसिक, शारीरिक, और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है, जिससे वे जीवन की सभी चुनौतियों को हंसते हुए सामना करने में सक्षम होते हैं।
शैलपुत्री की पूजा को शांति और स्थिरता की प्रतीक पूजा के रूप में माना जाता है, जो जीवन को नई दिशा और दृष्टि प्रदान करती है।
Navratri Special 2024 : माता शैलपुत्री की पूजा आराधना का फल
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