Mantra: ब्रह्म स्नान और राक्षसी स्नान से क्या समझते हैं? स्नान करते समय कौन सा मंत्र का जाप करना चाहिए
अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्नान हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति प्रतिदिन स्नान करते हैं उन्हें स्वास्थ्य और धर्म की दृष्टि से भी काफी लाभ प्राप्त होता है। किंतु धर्म और शास्त्र के अनुसार स्नान करने की भी समय बताऐ गए हैं। आज के लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि स्नान करने की कितने तरीके हैं और किस समय स्नान करना बेहद लाभकारी होता है।
स्नान करने के कितने प्रकार हैं और उनका क्या क्या नाम है संपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
साथ ही हम इस लेख में आपको स्नान करते समय किस मंत्र का जाप करना चाहिए ।
इसका मंत्र क्या है इस विषय में भी जानने का प्रयास करेंगे।
जिस प्रकार सभी कार्यों के लिए अलग-अलग विधियां होती हैं ठीक उसी प्रकार स्नान करते समय भी हमें इन विधियों के अनुसार ग्रंथों में अलग-अलग मंत्र बताए गए।
स्नान करते समय हमें इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए
गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती |
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु ||
यदि इस मंत्र के अर्थ के विषय में एक बार नजर डाले तो इसका अर्थ यह बनता है
गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी नदियों मेरे स्नान करने की इस जल में आप पधारिए।
नहाते समय सबसे पहले सिर पर पानी डालना चाहिए उसके बाद पूरे शरीर पर इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि नहाने से हमारे सिर की गर्मी शरीर से होते हुए पैर होकर नीचे निकल जाती है।
धर्म शास्त्रों में स्नान करने के चार प्रकारों का वर्णन किया गया है
ब्रह्म स्नान (Braham Snan) प्रातः 4 से 5 बजे के बीच
ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात सुबह 4:00 से 5:00 के बीच भगवान चिंतन के साथ किया हुआ स्नान ब्रह्मा स्नान के नाम से जाना जाता है।यह स्नान सर्वोत्तम माना जाता है। इस स्नान से सुख, शांति, समृद्धि, विद्या, बल, आरोग्य आदि प्रदान होता है।
देव स्नान (Dev Snan) प्रात:काल 5 से 6 के बीच
सूर्योदय के बाद यदि स्नान करते हैं तो इसे देव स्नान के नाम से जानते हैं ।
इस स्थान का समय 5:00 से 6:00 प्रातः काल होता है। देव स्नान को उत्तम माना गया है. देव स्नान करने से यश, कीर्ति, धन-वैभव, सुख-शान्ति और संतोष प्रदान होता है।
ऋषि स्नान (Rishi Snan)
जब कोई व्यक्ति सुबह-सुबह आकाश में तारे देखते हैं और उस समय स्नान करते हैं, उस स्नान को ऋषि स्नान के नाम से जानते हैं।
दानव स्नान (Danav Snan)
सुबह में चाय नाश्ता करने के बाद यानी सूर्योदय के बाद का स्नान दानव स्नान या राक्षसी आसमान के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म स्नान, ऋषि स्नान और देव स्नान को उत्तम माना जाता है।
राक्षसी स्नान को निषेध माना गया है. राक्षसी स्नान करने से दरिद्रता, कलह, संकट, रोग और मानसिक अशांति प्राप्त होती है।
Disclaimer : यह जानकारी गूगल के माध्यम से मिली जानकारी के अनुसार ली गई है। NewsViralSK.com इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करती है।
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