जन्माष्टमी के विषय में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव: (Janmashtami ki kahani) प्रत्येक वर्ष भादो माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हम कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं। ऐसा मान्यता है कि जब जब धरती पर अत्याचार का बोलबाला बढा, पाप चरम सीमा पर पहुंचने लगे, तो भगवान पृथ्वी पर अवतरित होकर सत्य और धर्म की स्थापना की है।
जन्माष्टमी के विषय में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव
कटोरा में मक्खन मिश्री की थाल,
मिट्टी की खुशबू बारिश की फुहार।
राधा की उम्मीद कन्हैया का प्यार
मुबारक हो आपको जन्माष्टमी का त्यौहार।।
संपूर्ण संसार की रक्षा दुष्टों का संघार और धर्म स्थापना हमारे प्रभु भगवान श्री कृष्णा अवतार का प्रमुख उद्देश्य रहा है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कीअष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में हुआ। उनके प्रकट होते ही मंगलमय वातावरण, जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया और वासुदेव देवकी के सामने भगवान विष्णु शंख, चक्र, गदा, पद्मधारी चतुर्भुजी को देख देवकी और वासुदेव प्रफुल्लित हो गए।
शंख, चक्र, गदा धारी भगवान विष्णु वासुदेव से कहते हैं — अब मैं बालक का रूप धारण करता हूं। अभी नंद बाबा के यहां एक कन्या जन्म ली है, तुम मुझे नंद के घर पहुंचा दो और वहां से उस कन्या को लेकर यहां ले आना और फिर कंस के मांगने पर उसे सौंप देना।
ऐसा कहकर भगवान बालक का रूप धारण कर लिया। देखते-देखते पहरेदार सब सो गए जेल का फाटक अपने आप खुल गया। वासुदेव उस नन्हा सा बालक को एक टोकरी में लेकर चल दिए नंद के घर।
मध्य रात्रि का समय, अंधेरा ही अंधेरा कुछ नहीं दिख रहा था इधर उधर। रास्ते में यमुना जी पार करते समय , चरण स्पर्श हेतु यमुना जी की ऊंचाई बढ़ने लगी और चरण स्पर्श कर उन्हें नीचे हो गई।
पलके झुका कर वंदन करू,
मस्तक झुका कर नमन करू।
ऐसी नजर दे मुझे कान्हा,
आंख बंद करके भी तेरा दीदार करूं।।
बालक को यशोदा जी के बगल में सुला कर उस नन्ही सी कन्या को लेकर वासुदेव कारागार में आ गए और फिर देखते देखते ही वे कड़ियों में बंध गए। पहरेदार का नींद खुल गया। भगवान विष्णु ने अपने शक्ति से बासुदेव की रात्रि की सभी घटनाओं को भुला दिए।
सुबह होते ही कंस कारागार में पहुंचे और जबरदस्ती वह नन्ही सी बच्ची देवकी वासुदेव की छीन ली। देवकी कहने लगी यह बच्ची है यह कोई बालक नहीं है किंतु वह उनकी एक न सुने।
उस छोटी सी बच्ची को लेकर यूं ही उन्हें पत्थर पर पटक कर मारने का प्रयास किया। वह कन्या हाथ से छूटकर ऊपर उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली — अरे कंस तेरा बध करने वाला पैदा ले लिया है। मुझे मारने से क्या फायदा होगा तुम्हें?
यह बात सुनकर कंस और घबरा गया।
देवता सब ऊपर धुंधवी बजाकर पुष्प वृष्टि करने लगे।
अज्ञान को दूर करने वाले हैं श्री कृष्ण
भगवान कृष्ण का दर्शन मात्र से प्राणियों के संताप दुख और कष्ट मिट जाते हैं। कृष्ण को मुरलीधर, मनोहर, नटवर नागर आदि भिन्न भिन्न नामों से जानते हैं।
अर्जुन जब युद्ध भूमि में निराश अवस्था में था तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें उपदेश देकर अज्ञानता से मुक्त किए। कोई भी व्यक्ति जब निराश होता है तो गीता का ज्ञान ही उसे उबरने की शक्ति देती है।
बालकृष्ण के चरण हमारे घर आए,
हम सब मिल खुशियों के दीप जलाएं।
परेशानी हमसे आंख चुराए,
कृष्ण जन्माष्टमी की आपको शुभकामनायें
जन्माष्टमी मोहरात्रि है–
हमारे धर्म शास्त्रों में दीपावली, शिवरात्रि, दीपावली और जन्माष्टमी की यात्री का काफी महत्व है।
दीपावली को हम कालरात्रि कहते हैं। शिवरात्रि को महारात्रि , होली अहोरात्रि तथा कृष्ण जन्माष्टमी को मोहरात्रि कहा जाता है। इस रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की ध्यान, मंत्र जाप आदि करने से बहुत लाभ होता है।
जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं
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सर जी इसमे आपने काफी रोचक तथ्य के बारे में जानकारी दिए जो मुझे पहले पता नही था। दिल से धन्यवाद