बिहारी हो, भोजपुरी नहीं आता –लानत है: नमस्कार दोस्तों एजुकेशन पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। दोस्तों आज का पोस्ट बहुत ही खास होने वाला है। इस पोस्ट में हम जानेंगे की मैथिली भाषा का वर्णन वेदों पुराणों में होने के बावजूद भी मैथिली पीछे क्यों।
बिहारी हो तो भोजपुरी आना ही चाहिए
दोस्तों ऐसा शब्द बाहर में सुनने को मिलता है। मैं आपको बता देना चाहता हूं कि इसके पीछे कारण क्या है। बिहार में कुल 38 जिले हैं जिसमें मात्र 10 जिले में भोजपुरी बोली जाती हैं, 8 जिले में मगही और 20 जिले में मैथिली तथा इसके उपभाषा बोली जाती हैं।
फिर भी दिल्ली, मुंबई आदि शहरों में ऐसा सुनने को मिलता है, बिहारी हो तो भोजपुरी आना ही चाहिए –लानत है!
भोजपुरी की बात की जाए तो
भोजपुर इलाके के लोग भोजपुरी से बहुत प्यार करते हैं। यदि विदेश में भी अपने इलाके के लोगों से मिलते तो अपने भोजपुरी को आगे रखते हैं। मनोज बाजपाई और पंकज त्रिपाठी को ही ले लीजिए ना– नेशनल टेलीविजन बिग बॉस में भोजपुरी में ही बातें करते हैं। यही है भाषा का प्रचार प्रसार।
अरे बिहारी हो तो भोजपुरी आना ही चाहिए क्यों?
गर्व से कहो हां हमें भोजपुरी नहीं आती
हां, हम बिहारी हैं– हमें भोजपुरी नहीं आती है, क्योंकि हम मधुबनी, दरभंगा, सहरसा के रहने वाले हैं– हम मैथिली बोलते हैं।
हम बिहारी हैं– हमें भोजपुरी नहीं आती है क्योंकि, हम जहानाबाद, गया के रहने वाले हैं– हम मगही बोलते हैं।
अक्ल के अंधे को समझाए, मैथिली के विषय में बताएं
क्या है मैथिली? क्या है मिथिला? उससे उसे अवगत कराएं
मैथिली भाषा 20 जिले में बोले जाते हैं। उसे गूगल में सर्च करने को कहें।
मैथिली का वर्णन आज से ही नहीं — वेद पुराणों में भी जिक्र है। पूरा दुनिया जिसे भगवान कहता है उसका ससुराल यही मिथिला है। पूरा दुनिया जिसे पूजता है उसे हम गाली देते हैं क्योंकि वह (राम चन्द्र जी) यहां के दामाद है।
दोस्तों, मैथिली में यूपीएससी का पेपर आप दे सकते हैं, फिर इसके प्रति अवहेलना क्यों?
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के डिस्कवरी ऑफ इंडिया में मैथिली भाषा का वर्णन हुआ है।
क्यों है मैथिली भाषा इतना पीछे– सबसे आगे रहने वाला
मैथिली भाषा इतना पीछे क्यों इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यहां का सोच है। यहां लोगों को आगे बढ़ने नहीं दिया जाता है।
भरत शर्मा व्यास जो जाति के बढई है, उसे भोजपुर के इलाके में काफी प्यार और सम्मान मिलता है। किंतु इस मिथिला क्षेत्र में यदि कोई निम्न जाति का व्यक्ति आगे बढ़ना चाहता है तो उसे बढ़ने नहीं दिया जाता।
यही मुख्य कारण है भाषा का पीछे रहने का। हमारे पास क्या नहीं है, किंतु यह मन में भाव हमें पीछे धकेल रहा है। मन से इस भाव को हटाना होगा।
यहां लोग पैर खींचना जानते है। अरे भाषा से प्रेम करो और प्रचार करो, खुब प्रचार करो — जब अपने में ही द्वेष रखोगे तो आप भाषा को आगे नहीं बल्कि पीछे ले जा रहे हो। दिल्ली रहो या मुम्बई मैथिली में ही बातें करें।
मार्केटिंग —– दिखेगा तभी तो बिकेगा
दोस्तों यह पोस्ट हिंदी में इसीलिए रखें, क्योंकि इसकी समझ सभी तक हो।
हम अपने मैथिल भाइयों से आग्रह करते हैं, खासतौर पर युवा वर्ग से– अपनी मैथिली भाषा का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करें। क्योंकि मैथिली एक ऐसी भाषा है, जिनका गुणगान वेदों- पुराणों में भी है।
जय मिथिला — जय मैथिली
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सर जी बिल्कुल सही बात ये बात समझने योग्य है