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आयु, यश, बल और आरोग्य प्रदान करती है,  मां कूष्मांडा

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Aayu Yash aarigya Pradhan Karti MAA kusmanda
Aayu Yash aarigya Pradhan Karti MAA kusmanda

आयु, यश, बल और आरोग्य प्रदान करती है,  मां कूष्मांडा

मां कुष्मांडा: नवरात्रि में चौथे दिन मां कूष्‍मांडा की उपासना की जाती है। कुष्मांडा  तीन शब्द से मिलकर बना है,  कु— मतलब छोटा , ऊष्मा -यानि ऊर्जा तथा अंडा।  शास्त्रों के अनुसार ब्रह्माण्ड की रचना ऊर्जा के एक छोटे से   अंडे के  रूप में की  गयी।

मां कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर एक विशिष्ट लोक में निवास करती है। यह अत्यंत तप्त लोक है जहां  निवास करने की क्षमता/ शक्ति केवल मां कूष्‍मांडा में ही है अन्य किसी देवता में नहीं। जब सृष्टि  अस्तित्व में नहीं था, उस समय मां कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की।

अष्ट भुजाधरी माँ कूष्मांडा के हाथ में अस्त्र शस्त्र  माला कमंडल आदि है। माता की उपासना से भक्तों
को आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। माता समस्त रोग-शोक मिटाकर परम पद प्रदान करती है।

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