सौभाग्य और अभय का वरदान देने वाली हैं मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना नवरात्रि में पांचवें दिन की जाती है। मां स्कंदमाता की उपासना करने वाले भक्तों को सुख-शांति तथा अभय का वरदान मिलता हैं।
माता का नाम स्कंदमाता क्यों पड़ा इससे संबंधित एक कथा है, देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के इस स्वरूप को स्कंदमाता नाम से जाना जाता है।
मां स्कंदमाता चार भुजा धारी कमल के पुष्प पर विराजित हैं। इनका वाहन सिंह है। देवी मां की पूजा अर्चना उपासना से भक्तों को अलौकिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
माता को लाल रंग अधिक पसंद है। स्कंदमाता को शहद का भोग लगाना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता स्कंद स्कंदमाता हिमालय की पुत्री पार्वती है। यदि कोई कन्याएं माता को मन क्रम वचन से आराधना करती है तो विवाह में आ रही सभी बाधाएं टल जाती है। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की पूजा अर्चना/ उपासना फलदायी है।
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Note — भक्तों इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं तथा लौकिक मान्यताओं के आधार पर है। अधिक जानकारी हेतु विशेषज्ञ या पंडित से जरूर संपर्क करें।
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