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मंगलसूत्र ( हिन्दी कहानी) लेखक- राजहंस कुमार

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मंगलसूत्र ( हिन्दी कहानी) लेखक- राजहंस कुमारHindi kahani mangalsutra , Hindi story by Rajhans, Hindi kahaniyan, marmik kahaniyan, Navin Hindi kahaniyan. नमस्कार दोस्तों एजुकेशन पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम आपके बीच एक कहानी लेकर  हाजिर हैं। कहानी का  रचनाकार राजहंस कुमार है। इस कहानी के पात्र और घटनाएं काल्पनिक है। मंगलसूत्र ( हिन्दी कहानी) को अंत तक पढ़े।

मंगलसूत्र ( हिन्दी कहानी) लेखक- राजहंस कुमार

 

गांव घर में पामरिया शब्द काफी प्रचलित है । जिनका काम लोगों के यहां जब कोई लड़का पैदा होता है तो वहां जाकर नाच गान करके तरह-तरह की वस्तु के साथ भेंट पाना होता है। लेकिन यह पामरिया आज से नहीं बल्कि बहुत पहले से आ रही है ।

हां इसका कार्य अभी के कार्य कुछ अलग था। अभी तो लोग इसे लोगों को रिझाने वाले की दृष्टि से देखता है। लेकिन हमारे बड़े बुजुर्ग के अनुसार पहले इसका कार्य बहुत घिनौना था। हमारे दादा जी कहा करते थे कि यह पामरिया लोग अंग्रेज के शासनकाल में अंग्रेज का गुप्त एजेंट हुआ करता था। जो लोगों के यहां घूम घूम कर नाच गान के बहाने सुंदर लड़कियों का पता लगाते थे,और गुप्त रूप से इसकी सूचना अंग्रेज अधिकारी को दिया करते थे उसके बाद वह अंग्रेज अधिकारी उस लड़की को बलपूर्वक घर से उठा लिया करते थे।

ऐसी अनेकों अत्याचार जो हमारे देश के लोगों पर होती थी उसकी एक कड़ी यह पामरिया लोग भी थे। जो अपने ही देशवासियों के इज्जत के साथ खिलवाड़ किया करते थे। अंग्रेजी शासन खत्म होने के बाद इन लोगों को भी अपना रास्ता और कार्य शैली बदलना पड़ा और वह एक नाच गान कर लोगों को रिझा कर इनाम पाने वाला बन गया। आज सुबह से ही गांव में ढोलक की आवाज गूंज रही थी, क्योंकि पामरिया लोग गांव आए थे और यह पता लगा रहे थे कि गांव में किसके किसके यहां बेटा पैदा हुआ है।

गांव की एक भोली भाली महिला रीता जो समाज के बहुओं में श्रेष्ठ, उनका पति रविकांत जो गांव में रहकर ही खेती बारी किया करते थे। रीता भी अपने पति रविकांत के काम में तन मन से सहयोग करती थी‌। रीता के मन में बड़ों के प्रति आदर और छोटे के प्रति प्यार की भावना थी। और पति तो उनका देवता ही था। कोई भी कभी उन दोनों को झगड़ते नहीं देखा होगा। जहां तक गांव में कोई झगर पड़ता तो उसे वे दोनों बुद्धिमता से सुलझाते। इसीलिए रीता और रविकांत का मान सम्मान और भी बढ़ गया था।

भगवान की कृपा से पिछले सप्ताह ही उसे एक पुत्र हुआ जिसका नाम बड़े लाड़ प्यार से उनका माता-पिता नवल किशोर रखा था। ढोलक की आवाज बढ़ती जा रही थी, रविकांत कहीं बाहर गए हुए थे। रीता अकेली अपने बच्चे के साथ घर में थी, इतने में छोटकी काकी की बेटी रिमझिम दौड़ती हांफती रीता के घर आकर बोली चाची जी आपके यहां पामरिया आ रहे हैं।

नवल का बधाइयां लेने। चाचा जी घर पर नहीं है क्या? रीता कुछ रुक कर बोली पामरिया आ रहे हैं तो आने दो चाचा जी भी आ जाएंगे। कुछ ही देर के बाद पामरिया आंगन में प्रवेश किया। चंद मिनटों में महिलाओं की भीड़ लग गई चिन्नू दाय बोली रीता दाय तुम्हारा बेटा सूरज सा सुंदर है तुम्हें तो आज बधाइयां में सोना की अंगूठी देनी पड़ेगी। इतने में लाल काकी बोली सोना की अंगूठी ही नहीं चिन्नू दाय एक मन चावल भी खुशी से लुटाना होगा।

यह सब सुनकर रीता हंस कर बोली क्यों नहीं आज हम दिल खोलकर दान करेंगे। इस तरह की कई बातें चलती रही, पामरिया भी अपना ढोलक संभाला महिला वाली पोशाक पहने और नवल को उठाकर नाच गान शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद अपना पोशाक उतार कर एक तरफ रख कर अपनी चादर बिछा दिया और तरह-तरह की वस्तुओं की मांग करने लगा। वह जोर से बोला बहुरानी इस चादर पर एक मन चावल आधा मन दाल 5 किलो तेल मसाला फूल का थाली लोटा गिलास और 5 भरी सोना रखिए।

रिता अचानक असमंजस में पड़ गई और बोली मेरे पति आते ही होंगे आपको वही सब कुछ देंगे। लेकिन पामरिया को शायद यह आभास होने लगा कि यह औरत जात है इससे अभी दान दहेज अईठी जा सकती है नहीं तो पति आएंगे तो हो सकता है कुछ भी ना मिले।

इसीलिए वह पैंतरा बदला और कहने लगा मुझे औरों के यहां जाना है सिर्फ आपके यहां ही बेटा नहीं हुआ है बहुरानी। जो देना है तुरंत कीजिए महिला समाज से भी इसी तरह की बात होने लगी, रीता के पति अभी भी बाहर थे, रीता मन मसोसकर घर गई और 10 किलो चावल 5 किलो दाल 1 किलो तेल मसाला के साथ कुछ बर्तन सामने रख दिए। और बोली मेरे पास जो आपको देने के लिए था वह मैं दे दी अब मेरे पास कुछ ऐसा नहीं है जो आपको दूं।इसे खुशी खुशी ग्रहण किजिए।

पामरिया झुंझला कर बोला। यह क्या बहुरानी एक मन के जगह 10 किलो यह कहां का न्याय है ऊपर से फूल का बर्तन भी नहीं दिए। पड़ोसी महिलाओं के मुंह से भी यही बात निकल रही थी।रिता अपने पति के इंतजार में परेशान हो रही थी लोगों की बात उनके कान में कील की तरह चुभ रही थी।

Hindi story and poem by Rajhans
Hindi story and poem by Rajhans

सभी की जूबान से सोने की बात ही चल रही थी। बहुत देर तक बात पर बात चलती रही अचानक पामरिया की नजर रीता की गर्दन में पड़ी सोने की मंगलसूत्र पड़ी, वह वही एक निशानी थी जो रिता को पति ने विवाह के समय उनके गले में पहनाई थी। एकाएक पामरिया सभी बातों को काटते हुए बोला बहुरानी आप बहुत देर से सोच रहे हैं इसलिए अब मैं ज्यादा देर नहीं करूंगा।

आप अनाज,बर्तन जो दी सो दी मैं कुछ नहीं बोला अब रही 5 भर सोने की बात तो मैं आपको उन में छूट नहीं करूंगा। आपके पास सोने चांदी की क्या कमी, गले में इतनी सुंदर सोने के हार हैं बेटा के खुशी के लिए सोने चांदी क्या चीज है लोग अपना जान भी दे देते हैं।

पड़ोस से आई महिलाएं भी इस बात की पूर्ण समर्थन कर रही थी। रिता को समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करें। उसे पति का अनुपस्थिति बहुत खल रही थी, वह मन ही मन ईश्वर से लाज बचाने की प्रार्थना करने लगी। अचानक महिला समाज से एक साथ आवाज उठाने लगी क्या सोचती हो रिता बहन अपने बेटे नवल के लिए अपना मंगलसूत्र ही दे दो पति से कह कर फिर बनवा लेना।

अब तो पामरिया भी इस बात पर अड़ गया कि हमें मंगलसूत्र ही चाहिए। संपूर्ण समुदाय रीता को कोस रही थी कि बेटा से बढ़कर उनका सोना चांदी ही है। रीता एक तरह से नि: प्राण हो गयी। जब उनका दिल टूटने लगा,मन विचलित होने लगा तो वह अचानक होश गवा बैठी। और दोनों हाथ से अपने मंगलसूत्र उतारने लगी।

वह ज्योंही अपने मंगलसूत्र को हाथ लगाई कि पीछे से आवाज आई, रुक जाओ रीता तुम यह क्या कर रही हो? यह वहीं इंसान है जो कभी हम लोगों के घरों का इज्जत लूटने वालों को मदद करते थे और आज तुम्हारे सुहाग की निशानी लूटने पर तुले हैं। दस- बीस लोगों के कटु शब्दों को सुनकर हार मान गई। नहीं रिता स्त्री के लिए पति द्वारा दी जाने वाली दो अनमोल उपहार होती है, एक उनके गले की शोभा बढ़ाने वाली मंगलसूत्र और दूसरा मांग की शोभा बढ़ाने वाली और लालिमा बरकरार रखने वाली सिंदूर। लाख विपत्ति आने पर भी इस अनमोल सौगात कि सौदा एक सुहागिन स्त्री नहीं करते।

रीता जब पीछे मुड़कर देखी तो आंखों से अश्रु धार बहने लगी। उनका पति उनका हाथ थामे हुए थे रीता अपने पति का पांव पकर लिए और क्षमा मांगने लगी। रविकांत उसे स्नेह पूर्वक उठाया इसके बाद तो माजरा ही बदल गया।

रीता की लाल लाल आंखें और काली जैसी रूप देखकर पामरिया तो नौ दो ग्यारह हो गया, और जो पड़ोसी अभी तक रीता को कोस रही थी उनके दिल में रविकांत के एक आदर्श नीति के कारण स्नेह प्यार और आदर का भाव उमड़ पड़ा। और वे सब भी रविकांत से क्षमा मांगी वादा किया की लाख विपत्ति आने पर भी हम औरत अपने सुहाग की निशानियों का सौदा नहीं करेंगे।

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