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समाजवाद, साम्यवाद और रुस की कांति ( लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर ) Subjective QnA Social Science 10th Bihar Board
Q.समाजवाद क्या है ?
Ans— समाजवाद एक विचारधारा है, जो आधुनिक काल में समाज को एक नया आवाम दिया। इन नई विचारधाराओं का जन्म 1789 ई०की फ्रांसीसी क्रांति के समय हुआ। यह समाज और अर्थव्यवस्था की पुनर्रचना से संबंधित है।
हम समाजवाद को ऐसे भी कह सकते हैं कि समाजवाद एक आर्थिक तथा सामाजिक दर्शन है। इस व्यवस्था में धन संपत्ति का वितरण एवं स्वामित्व समाज के नियंत्रण में होता है।
Q. रूसी क्रांति के दो कारणों का उल्लेख करें।
Ans—रूसी क्रांति के मुख्य कारण इस प्रकार है-
a जार की निरंकुशता — रूस में दो क्रांतियां हुई, एक 1905ई० में तथा दूसरा 1917ई० में। 1905 ई०में जार शाही को समाप्त करने के लिए रूसी जनता भरपूर प्रयास किये किंतु प्रयास विफल हो गया। जार निकोलस द्वितीय राजा के दैवी अधिकारों में अधिक विश्वास रखते थे। गलत सलाहकारों के कारण जार की मनमानी बढ़ती गई और इस प्रकार रूस की जनता की स्थिति और बिगड़ गई।
b. मजदूरों की दयनीय स्थिति— रूस के अधिकतर जनता कृषक थे। वे अपने छोटे-छोटे खेतों को पुराने तरीके से काम किया करते थे। मजदूर अधिक मात्रा में फसल नहीं उगा सकते थे। इसीलिए उनकी आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो गयी।
वह करों के बोझ में दब गए उन्हें कम मजदूरी में अधिक काम करना पड़ता था। उन्हें कोई राजनीतिक अधिकार भी प्राप्त नहीं था, जिससे वह हड़ताल कर सके।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि रूसी क्रांति का प्रमुख कारण वहां की जनता की बदहाली रही।
Q. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं?
Ans—समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान, सामान्य मजदूर , श्रमिक तथा आम गरीब लोग शामिल हो, सर्वहारा वर्ग कहलाता है।
इन वर्गों के लोगों के पास कृषि से संबंधित सभी वस्तुएं उपलब्ध नहीं होते। ये लोग हमेशा बड़े किसानों पर ही निर्भर रहते हैं किन्तु धनी वर्ग के लोग इन्हें उपेक्षित नजरों से देखते हैं।
Q. पूंजीवाद क्या है?
Ans—पूंजीवाद एक आर्थिक व्यवस्था है जिसमें सरकार बाजार को नियंत्रित करने में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाती है। हम ऐसे भी कह सकते हैं कि पूंजीवाद में निजी संपत्ति तथा निजी लाभ की मान्यता दी जाती है।
Q. अक्टूबर क्रांति क्या है?
Ans— अक्टूबर क्रांति को बोल्शेविक क्रांति के नाम से भी जानते हैं। 1917 ई० में रूस में दो बार क्रांति हुई थी। जिसमें अक्टूबर क्रांति 7 नवंबर 1917 ई० में हुई किंतु रूस के पुराने कैलेंडर के अनुसार वह दिन 25 अक्टूबर 1917 था। इसीलिए इसे अक्टूबर क्रांति के नाम से जानते हैं।
7 अक्टूबर 1917 ई० को बोल्सेविकों ने पेट्रोग्राड रेलवे स्टेशन, टेलीफोन केंद्र, बैंक, डाकघर तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर शासन का बागडोर अपने हाथों में ले लिया और इसका अध्यक्ष लेनिन को बनाया गया।
Q. खूनी रविवार क्या है?
Ans—1905 ई० में रूस – जापान युद्ध में रूस पराजित हो गए । पराजय के अपमान के कारण 9 जनवरी 1905ई० को वहां के लोगों ने सामुदायिक प्रदर्शन करते हुए सेंट पिट्सबर्ग स्थित महल की ओर चल पड़े।
रूस की जार की सैना ने प्रदर्शनकारियों के इस जुलूस पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई। इस भीषण कांड में हजारों लोग मारे गए। यह घटना रविवार के दिन घटित हुई, इसलिए इसे खूनी रविवार के नाम से जानते हैं।
Q. शीत युद्ध से क्या अभिप्राय है?
Ans—द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव की स्थिति पैदा हो गई। वाक् द्वंद द्वारा एक राष्ट्र दूसरे को नीचा दिखाने का प्रयास करने लगे। इस वाक् द्वंद्व को शीत युद्ध का नाम दिया गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूंजीवादी राष्ट्रों और रूस के बीच इसी प्रकार का शीत युद्ध चलता रहा।
Q. साम्यवाद एक नई आर्थिक तथा सामाजिक व्यवस्था थी, कैसे?
Ans— रूस में बोल्शेविक क्रांति के पश्चात एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था, साम्यवाद सामने आयी। इस व्यवस्था में पूंजीपतियों तथा कुलीन वर्गों का प्रभुत्व बिल्कुल समाप्त कर दिया गया। इससे पहले भूमि पर अधिकार जमींदारों का हुआ करता था। भूमि एवं उद्योग धंधे निजी संपत्ति होने के कारण पूंजीपति लोगों की व्यक्तिगत जीवन काफी सुख चैन से बीत रहे थे।
नई व्यवस्था आने से कृषि भूमि राजकीय संपत्ति घोषित कर, किसानों में बांट दी गई तथा उद्योग -धंधों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इस प्रकार साम्यवाद ने एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी।
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