Hanuman Ji Se Sikho : हनुमान जी के पांच प्रेरक प्रसंग आपको सफल बना देगा
धार्मिक ग्रंथो में ऐसा बताया गया है कि हनुमान जी अजर और अमर हैं। माता सीता जी से भी उन्हें वरदान मिला हुआ है।
हनुमान जी के जो शरण में जाते हैं उनका कल्याण हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी के शरणागत का कलयुग भी बाल बांका नहीं कर सकता है।
जो व्यक्ति पूर्ण योग और मनोभाव से हनुमान जी की पूजा अर्चना करते हैं उनका कष्ट हनुमान जी हरते हैं।
वैसे तो जीवन में दुख और सुख लगा रहता है किंतु हनुमान भक्त निराले होते हैं। उनके कष्ट को हनुमान जी दूर करते हैं।
भक्तों आज की इस आर्टिकल में हम हनुमान जी के विषय में पांच ऐसे तथ्यों के बारे में बताएंगे इसके विषय में आपको जानना बेहद जरूरी है।
यदि इसका अमल करते हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि रामचरितमानस में हनुमान जी को महावीर कहा गया है। वैसे तो वीर शब्द का प्रयोग ग्रंथ में अनेकों महारथी के लिए किया गया है जैसे की भीम, भीष्म पितामह, अर्जुन, मेघनाद, रावण इत्यादि।
किंतु महावीर शब्द का उपयोग केवल हनुमान जी के लिए ही प्रयोग हुआ है।
रामचरितमानस में महावीर विक्रम बजरंगी शब्द का भी प्रयोग हुआ है।
ऐसा कहा जाता है कि इंद्र के एरावत में 10000 हाथियों के बराबर बल होता है। दिकपाल में 10000 एरावत के बराबर बल होता है। और इंद्र में 10000 दिगपाल का बल होता है।
किंतु हनुमान की एक छोटी उंगली में 10000 इंद्र का बल होता है। अब आप हनुमान जी के बल का अनुमान लगा ही सकते हैं। हनुमान जी में यह बल आजीवन ब्रह्मचर्य पालन का ही है।
हनुमान जी माता सीता को कभी नहीं देखे थे। किंतु माता सीता की खोज में वह लंका गए थे। अब आप ही बताइए जो व्यक्ति किसी आदमी को ना देखा हो और उन्हें खोजने हो तो उसे स्थिति में खोजने में क्या परेशानी आई होगी।
हां एक बात तो है कि हनुमान जी को माता-पिता के गुण का पता था। और उसे गुण के माध्यम से ही उन्होंने माता-पिता का खोज किया।
हनुमान जी को माता सीता को खोजने में काफी समस्या का सामना करना पड़ा उस स्थिति में उन्होंने सोचा कि माता सीता का पता कैसे लगाया जाए। उन्होंने लंका के कोने-कोने में माता सीता को खोजने का प्रयास किया।
किंतु प्रयास जारी रखने के बाद हनुमान जी को राम भक्त विभीषण से मुलाकात हुआ और फिर माता-पिता के विषय में पूर्ण जानकारी मिली।
इस प्रकार हनुमान जी से एक शिक्षा लेना चाहिए कि जब हम लोग किसी काम को शुरू करते हैं तो असफलता आनी ही है। यदि हनुमान जी भी कोशिश नहीं करते तो माता सीता का पता लगा पाते।
अर्थात असफलता मिलने के बाद भी उत्साह के साथ फिर से एक बार कोशिश करना ही चाहिए।
एक बार हनुमान जी माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देखे। हनुमान जी रोज माता सीता को सिंदूर लगाते हुए देख रहे थे। एक दिन पूछ ही दिया की माता आप सिंदूर क्यों लगती हो? सिंदूर लगाने का क्या आशय है?
मैं अपने पति श्री राम के नाम का सिंदूर लगाती हूं ताकि पति की उम्र लंबी हो। हनुमान जी सच में पड़ गए। वे सोचने लगे की इतनी सिंदूर लगाने से भगवान का उम्र यदि बढ़ता है तो हम अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगा देंगे तो भगवान का आयु और भी बढ़ जाएगा।
सीता माता जब सिंदूर लगाया हनुमान को देख तो हंसते हुए बोली हनुमान जी इस पूरे शरीर में सिंदूर लगाने का क्या अभिप्राय है बताओ
मैं भी श्री राम के नाम का सिंदूर पूरे शरीर में लगा लिया है ताकि भगवान श्री राम की कृपा मेरे ऊपर हो और उनकी आयु लंबी हो। मेरी आराध्य देव का उम्र इतनी लंबी हो कि मैं संपूर्ण जीवन भर उनका सेवा कर सकूं।

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