क्यों मनाया जाता है राखी का त्योहार, इसका पौराणिक कथा क्या है History of Rakshabandhan : रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है । यह भाई और बहन का पर्व है। बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र राखी बनती है और अपनी रक्षा का वचन मांगती है। भाई अपनी बहन को जीवन भर उनकी रक्षा करने की वचन देते हैं।
दोस्तों आज हम रक्षाबंधन तो मनाते हैं, किंतु इस रक्षाबंधन की पीछे की कहानियों को भी जानना आवश्यक है.
रक्षाबंधन का इतिहास क्या है? What is the History of Raksha Bandhan?
रक्षाबंधन की एक पौराणिक कथा
भविष्य पुराण के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है की देवताओं और दैत्यों के बीच हमेशा युद्ध होता रहता था। यदि एक बार युद्ध छिड़ गया तो कई दिनों तक चलता रहता था। बलि नामक असुर भगवान इंद्र को युद्ध में पराजित कर दिया और अमरावती पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया।
इस विषम परिस्थिति में इंद्र की पत्नी सची काफी चिंतित थी, वह भागती हुई भगवान विष्णु के पास पहुंची और अपने पति की रक्षा का वचन मांगी।
भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से हाथ में पहनने के लिए वयल बना कर दिया और कहा इसे इंद्र की कलाई में बांध देना।
सची ऐसा ही की, उसने इंद्र की कलाई में बांधकर अनेक शुभकामनाएं दी और इस बार भगवान इंद्र बलि को हराकर अमरावती पर अपना राज्य स्थापित किया। इस रक्षाबंधन से भगवान इंद्र को मिली सुरक्षा।
रक्षाबंधन की दूसरी पौराणिक कथा
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रक्षाबंधन की यह कथा काफी रोचक है। कथा भागवत पुराण और विष्णु पुराण से ली गई है। राजा बलि से खुश होकर भगवान विष्णु मनचाहा वर मांगने को कहा ।
इस पर बाली ने भगवान विष्णु को अपने महल में रहने का आग्रह किया। भगवान विष्णु मान गए और बलि के साथ महल में रहने लगे।
मां लक्ष्मी भगवान विष्णु को बैकुंठ धाम जाने का आग्रह कर रही थी किंतु यहां तो कुछ और था। सही कहा गया है- भगत के बस में है भगवान…
अब महालक्ष्मी क्या करेगी कुछ समझ में नहीं आ रही है। उसने राजा बलि के कलाई में धागा बांधकर भाई बना लिया। राजा बलि काफी प्रसन्न हुए। उसने कहा बहन आज आप जो मांगेगी मैं सहर्ष देने के लिए तैयार हूं।
शायद आप मांगने में देर कर सकती है किंतु आपका भाई बलि देने में विलंब नहीं करेंगे।
आज मैं आपको बहन के रूप में पाकर धन्य होगा गया, एक भाई के नाते आपने जो इच्छा व्यक्त की मैं जरूर पूरा करूंगा।
मां लक्ष्मी बोली -भैया आप मेरे पति को वचन से मुक्त करें। मैं यही वरदान मांग रही हूं।
राजा बलि ने भगवान विष्णु को वचन से मुक्त कर दिए। तथा भगवान विष्णु मां लक्ष्मी के साथ बैकुंठ धाम के लिए प्रस्थान किए।
रक्षाबंधन का तीसरा पौराणिक कथा
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भगवान श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया, उस समय उनके हाथ में जरा सी चोट आ गई, उनके हाथों से खून निकलने लगे। उसी समय द्रोपति दौड़ती हुई आयी और अपनी साड़ी के पल्लू में से एक टुकड़ा फाड़ कर भगवान कृष्ण के हाथ में बांध दी।
भगवान श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न हुए और इसके बदले उन्हें भविष्य में आने वाली मुसीबतों से रक्षा करने का वचन दे दिया।
दोस्तों – यह छोटा सा कहानी रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं? रक्षाबंधन का क्या इतिहास है? आपको कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं।
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