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कलश स्थापना के विषय में संपूर्ण जानकारियां शुभ मुहूर्त क्या है?

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Navratri 2021:  9 दिनों तक चलने वाली शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर 2021 से यानी आज से है। 9 दिनों तक मां भगवती के अलग-अलग स्वरूपों की पूजन की जाती है किंतु‌ नवरात्रि में कलश स्थापना यानी घट स्थापना की विशेष महत्व होती है यह नवरात्रि का प्रथम दिन होता है। प्रतिपदा तिथि को विधि विधान से घट की की स्थापना की जाती है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या है?

भक्त वृंद आज हम कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Kalash Sthapna Shubh Muhurat) के विषय में जानेंगे। पंडितों का मानना है की नवरात्रि का प्रथम दिन यानी 7 अक्टूबर को प्रातः 6 बज कर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट तक कलश स्थापना करने की शुभ मुहूर्त है। कलश स्थापना  हेतु अभिजीत मुहूर्त को उत्तम मानाना गया है।

>>>कलश स्थापना 7 अक्टूबर को प्रातः 6 बज कर 17 मिनट से 7 बजकर 7 मिनट

>>>अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट के बीच है।

>>>दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक लाभ का चौघड़िया में

>>> 1 बजकर 42 मिनट से शाम 3 बजकर 9 मिनट तक अमृत के चौघड़िया में कलश-पूजन किया जा सकता हैं।

 

कलश स्थापना हेतु आवश्यक सामग्रियां कुछ इस प्रकार है । घट स्थापना के समय हमारे पास सात प्रकार के अनाज होना चाहिए। हमें निम्न वस्तुओं की आवश्यकता होती है—

>>पवित्र  स्थान से लाई गई मिट्टी
>>मिट्टी या धातु से बना घड़ा
>>आम या अशोक के पत्ते
>>गंगाजल
>>सुपारी
>>लाल वस्त्र
>>जटा वाला नारियल
>>अक्षत तथा पुष्प

कलश स्थापना की समय विशेष नियमों का पालन करना पड़ता है। उत्तर पूर्व दिशा में देवी मां की चौकी लगाई जाती है। लाल कपड़ा बिछाकर देवी मां की मूर्ति को स्थापित की जाती है। उसके बाद भगवान गणेश को ध्यान में रखकर कलश की स्थापना की जाती है। कलश स्थापना भगवती प्रतिमा के दाएं और की जाती है। कलश में पवित्र जल , गंगा जल, दुर्वा , सुपारी,  सिक्के आदि डालकर नारियल को चुनरी में लपेट कर कलश के ऊपर मौली बांधकर स्थापित की जाती है। Read More

??देवी से प्रार्थना करें??

शरणागत-दीनार्त-परित्राण-परायणे! सर्वस्यार्तिंहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तुते॥

??देवी का ध्यान मंत्र ??

देवी प्रपन्नार्तिहरे    प्रसीद प्रसीद     मातर्जगतोsखिलस्य।
प्रसीद   विश्वेतरि     पाहि विश्वं     त्वमीश्चरी देवी चराचरस्य।|

??रक्षा मंत्र??

शूलेन पाहि नो देवि    पाहि खड्गेन चाम्बिके। घण्टास्वनेन न:पाहि     चापज्यानि: स्वनेन च।।

Note— उपरोक्त जानकारियां इंटरनेट से ली गई है और अधिक जानकारी के लिए पंडितों से अवश्य सलाह लें।

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