चौरचन पूजा क्यों ? गणपति को देखकर हंस दिए थे चंद्रमा | क्या है मंत्र जानें : चौरचन पर्व मिथिला का एक बहुत ही खास पर्व है। चौरचन पूजा भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को शाम के समय की जाती है। इस पर्व को चौरचन , चोरचन्दा, चौठचन्द्र तथा कलंक चतुर्दशी के नाम से भी जानते हैं। जिस प्रकार छठ पर्व में भगवान भास्कर की पूजा अर्चना की जाती है उसी प्रकार चौरचन मेंं भगवान गणेश संग चंद्रमा की पूजन की जाती है।
यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद यानी भादो शुक्ल चतुर्थी चौठ को मनाते है। चौरचन पर्व से संबंधित कुछ मान्यताएं हैं, जिसका वर्णन पुराणों में भी की गई है।
इसी दिन चंद्रमा को कलंक लगा था और मिथिला में इसके निवारण हेतु रोहिणी नक्षत्र सहित चतुर्थी की चांद की पूजा की जाती है। रोहिणी नक्षत्र में चौरचन पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है।
चौरचन पूजा विधि के विषय में:
चौरचन पूजा में व्रती पूरे दिन उपवास रखकर घर आंगन को गाय के गोबर से लिप कर स्वच्छ करती है। आंगन में अरवा चावल के बने पिठार से चौका बनाती हैं। माताएं उस पर सिंदूर की टीका लगाती हैं। केले के पत्ते पर भिन्न भिन्न प्रकार के पकवान, खीर, मिष्ठान, दही आदि रखे जाते हैं।
शाम के समय व्रती पश्चिम दिशा में मुड़कर चंद्रमा को अर्घ देती है।
एक-एक कर डाली, मिठाई की बर्तन, दही का बर्तन, केला, खीरा आदि को हाथों में उठाकर निम्न मंत्र को पढ़कर चंद्रमा को समर्पित करतीं हैं
‘सिंह: प्रसेनमवधिस्सिंहो जाम्बवता हतः
सुकुमार मन्दिस्तव ह्येष स्यामन्तक: स्त’
चौरचन की कथा : —
कथा के अनुसार एक बार भगवान गणेश को देखकर चंद्रमा हँसकर मजाक उड़ाया। इस पर गणेश भगवान चंद्रमा को शाप दिया कि जो आपको देखेगा उसे कलंक लगेगा। श्रापित चंद्रमा दुखित होकर मानसरोवर के कुमुद में जाकर छुप गए। चंद्रमा के बिना रात्रि की शोभा बिगड़ गई।
चंद्रमा और अन्य देवता सहित भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पूजन किए। भगवान गणेश, चंद्रमा को श्राप से मुक्त कर दिए। इसके बाद चंद्रमा भाद्रपद (भादो) शुक्ल चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा की। फिर गणेश जी ने उन्हें कहा कि अब आप निष्पाप हो गए। यदि कोई मनुष्य ‘ सिंह: प्रसेनमवधिस्सिंहो जाम्बवता हतः… इस मंत्र से चंद्रमा के दर्शन करते है, तो उसे झूठे कलंक से मुक्ति मिल जाती हैं। उनके सभी मनोरथ पूरे होते हैं।
प्रेम से बोलिए– गणपति भगवान की = जय
श्रद्धालु भक्तगाण, कमेंट में गणपति भगवान का जय जयकार जरूर लगाएं।