लॉटरी ( हिन्दी कहानी) लेखक- राजहंस कुमार: Hindi kahani Lautari , Hindi story by Rajhans, Hindi kahaniyan, marmik kahaniyan, Navin Hindi kahaniyan. नमस्कार दोस्तों एजुकेशन पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम आपके बीच एक कहानी लेकर हाजिर हैं। कहानी का रचनाकार राजहंस कुमार है। इस कहानी के पात्र और घटनाएं काल्पनिक है। लॉटरी ( हिन्दी कहानी) को अंत तक पढ़े।
लॉटरी ( हिन्दी कहानी) लेखक- राजहंस कुमार
सुमन और उनकी बहन रीता आज बहुत खुश था क्योंकि उनके गांव में मेला लगी हुई थी। सुमन और रीता जल्दी-जल्दी तैयार होकर नए नए कपड़े पहने और अपने चाचा के साथ मेला देखने निकल पड़े।
मेला गांव से दूर एक मैदानी भाग में लगी हुई थी, इसलिए दूर से ही मेला साफ साफ दिखाई दे रहा था। सुमन और रीता जल्दी से जल्दी मेला पहुंचने की उत्सुक थी। इसीलिए वे लोग अपना कदम जल्दी-जल्दी बढ़ा रहे थे।
चाचा जी बोले इतनी तेज चलोगे तो जल्दी थक जाओगे। इसीलिए जब भी चलो धीरे धीरे चलो हम लोग मेला तो पहुंचेंगे हीं। कुछ देर के बाद वे तीनों मेला पहुंचे मेला में काफी भीड़ थी एक भी कदम बढ़ाना मुश्किल हो रहा था। चाचा जी सुमन और रीता को हाथ पकड़ कर आगे बढ़ रहे थे।
कुछ देर घूमने के बाद चाचा जी के मित्र सोहन चाचा मिल गए। चाचा जी उनसे बात करने लगे चाचा जी की बात लंबी होती जा रही थी। कुछ देर के बाद सुमन और रीता बोर होने लगे सुमन रीता से बोला चाचा जी को यहां सोहन चाचा से बात करने दो हम सब चले मेला घूम कर देखें। चाचा जी के पास फिर लौट आएंगे चाचा जी यह बात सुन लिया वाह आश्वासन भी दे दिया।
लेकिन यह हिदायत भी दी कि दोनों भाई बहन एक दूसरे का हाथ नहीं छोड़ना। मेला में भीड़ बहुत अधिक है इसलिए दूर मत जाना और मेला घूम कर फिर यहीं पर मेरे पास आकर मिलना। मेले में बहुत सी दिखावे वाली चीज होती हैं उस दिखावे में नहीं पड़ना सिर्फ मेला देख कर मेरे पास लौट आना।
सुमन और रीता बोली अच्छा चाचा जी हम जल्दी लौट आएंगे। सुमन और रीता मेला घूमना शुरू किया कभी मिठाई की दुकान की शोभा देखते तो कभी फूलों की दुकान की महक से आनंदित होते कभी बंदर की नाच देख कर जोर जोर से ठहाका लगाकर हंस पड़ते।
घूमते घूमते अचानक सुमन की नजर एक चमचमाती शीशे की दुकान पर पड़ी । जिसके ऊपर लिखा था “लॉटरी”, नीचे छोटे अक्षर में लिखा था,टिकट सिर्फ 2 रुपए । दोनों भाई बहन इससे पहले “लॉटरी”की दुकान कभी नहीं देखा था।
सुमन ने रीता से कहा देखो रीता तुम कभी “लॉटरी” की दुकान देखी है । रीता आश्चर्यचकित हो बोली लॉटरी, लॉटरी की दुकान क्या होती है? सुमन बोला चलो चल कर देखते हैं। जब दोनों दुकान पर पहुंचा तो देखा कि उस दुकान पर भीड़ लगी हुई है अंदर दो व्यक्ति बैठा है।
एक आदमी एक बड़ा डब्बा में कई टिकट रखी है और एक आदमी सामान सजा रहे हैं। सभी सामान के नीचे कुछ अंक लिखे हैं उन दोनों को यह देखकर हैरानी हो रही थी कि यहां यह कैसा दुकान है। इतने में एक आदमी उस काउंटर पर ₹2 का एक सिक्का रखा और उस डब्बा से एक टिकट निकाला।
टिकट खोलकर देखा तो उनका नंबर आया 16 दुकान के अंदर दूसरे व्यक्ति वह नंबर देखकर एक गुलदस्ता उठाकर उस आदमी को दे दिया। उसके नीचे लिखा था 16 अब दोनों को थोड़ी-थोड़ी बात समझ में आ रही थी। लेकिन आश्चर्य हो रहा था कि दो ही रुपए में इतनी बड़ी गुलदस्ता तो नहीं मिल सकती।
वे दोनों वहीं खड़े होकर देखने लगा कि आगे क्या होता है। इतने में एक बूढ़ा आदमी आया और दुकान वाले को ₹2 का सिक्का बढ़ाया और उस डिब्बे से टिकट निकाला फिर खोलकर देखा तो उस पर लिखा था 75 यह देखकर तो वे दोनों हैरान हो गये।
क्योंकि वे लोग उस दुकान में सबसे ऊपर एक रंगीन टेलीविजन देखी थी जिसके नीचे लिखा था 75 उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह दुकानदार उसे 2 रूपया में ही इतना बड़ा रंगीन टेलीविजन दे देंगे। लेकिन दुकानदार ने खुशी से वह टेलीविजन उठाई और उस बूढ़े व्यक्ति को दे दिया।
बूढा खुशी-खुशी टेलीविजन लेकर चल पड़ा दुकानदार ने फिर दूसरी टेलीविजन उस नंबर के सामने लगा दिया। अब सुमन और रीता का मन भी लॉटरी खेलने के लिए मचलने लगा। सुमन और रीता को मां ने मेला देखने के लिए ₹10 दिए थे।
सुमन और रीता एक दूसरे की आश्वासन लिया और लॉटरी खेलने के लिए राजी हो गया सुमन ₹4 में दो टिकट खरीदा उनका नंबर आया 4 और 36 जिसमें उनको ₹1 का कलम और 50 पैसे का कॉफी टॉफी मिला। फिर रीता बोली भैया इस बार मैं दो टिकट लूंगी। आज तुम्हारा भाग्य अच्छा नहीं है।
ससभरीता दो टिकट खरीद लिया उनका नंबर आया 17 और 21 जिसमें उनको एक मिटाने वाला रबड़ और ₹1 का दवात प्राप्त हुआ। उसे बहुत निराशा हुई, फिर वे अपने चाचा जी के पास लौटने लगे।लौटते वक्त उसे बार-बार एक ही बात सता रहा था कि वह अपने चाचा से क्या कहेंगे।
फिर भी हिम्मत कर चाचा जी के पास पहुंच गए। उनका चेहरा उतर चुका था चाचा जी भी उसे निराश देखकर समझ गया कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है। उन दोनों को प्यार से पूछा क्या हुआ, तुम दोनों उदास क्यों हो? वे कुछ नहीं बोले फिर चाचा जी दोनों को साथ लेकर मिठाई की दुकान पर पहुंचा और दोनों को दुकान में बैठा कर जो जी चाहे खाने को कहा ।
लेकिन दोनों ने कुछ भी खाने से साफ मना कर दिया, फिर चाचा जी घर के लिए कुछ मिठाई खरीद कर घर की ओर चल दिए। रास्ते में चाचा जी सुमन से पूछा कि मैं जानता हूं कि तुम्हें किसी बात का दुःख है, और तुम अपनी दुःख छुपा रहे हो। इससे तुम्हारा दुःख दूर नहीं होगा बल्कि और बढ़ जाएगा।
इसलिए तुम अपना दुःख मुझे बताओ मैं तुम्हें नहीं डाटुंगा। फिर थोड़ी हिम्मत कर सुमन सारी बात बता दिया और बोली चाचा जी हम दोनों का तो भाग्य ही खराब है। हम से पहले जो आदमी टिकट खरीदा उसमें से एक को बड़ा सा गुलदस्ता और एक को रंगीन टेलीविजन मिला। लेकिन मुझे क्या मिला कुछ भी नहीं।
फिर चाचा जी दोनों को प्यार से समझाया और कहा बेटे इसमें भाग्य का कोई दोष नहीं। “लॉटरी” की दुकान में धोखा होने की संभावना बहुत अधिक होती है। और जहां तक किसी को गुलदस्ता और रंगीन टेलीविजन मिलने का सवाल है तो हो सकता है कि वह व्यक्ति उस दुकानदार का अपना व्यक्ति हो।
जो लोगों को आकर्षित करने के लिए ऐसा करता हो। अब सुमन और रीता को जान में जान आई। सुमन के मन में और कई विचार उठने लगी कि हो सकता है कि वह अपने आदमी के लिए अलग से टिकट रखता हो और उसे आने पर मिलाता हो या यह भी हो सकता है कि उस टिकट में कुछ पहचान रखता हो, जो सिर्फ उस आदमी को ही पता हो ।
यह बात वे अपने चाचा को बताया चाचा जी बोले तेरा अनुमान बिल्कुल सही है इसलिए तुम लोग अब इस प्रकार के झांसे में नहीं पड़ना। दोनों मुस्कुराते हुए बोले अच्छा चाचा जी। फिर तीनों घर चले आए। फिर वे दोनों जब विद्यालय गये तो ये घटना अपने सभी साथियों को बताया और इस प्रकार के झांसा में नहीं पड़ने की सलाह दी।
सभी साथी ने भी उनका समर्थन किया और आश्वासन दिया कि हम लोग इस प्रकार के झांसा में कभी नहीं पड़ेंगे।
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बहुत ही अच्छी कहानी है 👍👍👍✔️