वचन और वादा (हिंदी कहानी) लेखक- राजहंस : vachan aur vada Hindi kahani , Hindi story by Rajhans, Hindi kahaniyan, marmik kahaniyan, Navin Hindi kahaniyan. नमस्कार दोस्तों एजुकेशन पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम आपके बीच एक कहानी लेकर हाजिर हैं। कहानी का रचनाकार राजहंस कुमार है। इस कहानी के पात्र और घटनाएं काल्पनिक है। वचन और वादा ( हिन्दी कहानी) को अंत तक पढ़े।
वचन और वादा (हिंदी कहानी) लेखक- राजहंस | Vachan aur Vada Hindi kahani
वचन और वादा
राधिका का भाई सुरेश बहुत ही होनहार लड़का था। वह आयु में राधिका से 2 वर्ष का छोटा था, राधिका सुरेश से बहुत अधिक प्यार किया करती थी, वह हमेशा अपने भाई का ख्याल रखती उसे खाना खिलाती उनका कपड़ा साफ करती गांव घुमाया करती और इतना ही नहीं उसे अपने साथ ले जाकर मेला भी घूमाया करती थी।
श्री कृष्ण सुभद्रा की तरह एक दूसरे के प्रति आपार प्रेम था। हर वर्ष दोनों भाई-बहन रक्षाबंधन का इंतजार करती। दो महीनें पहले से ही राधिका रक्षाबंधन में राखी खरीदने के लिए कुछ ना कुछ पैसा इकट्ठा करती रहती। क्योंकि वह अपने भाई को आने वाले रक्षाबंधन में अच्छी से अच्छी राखी बांधना चाहती थी। भाई भी अपने बहन को सुंदर से सुंदर उपहार देने के लिए कई माह पहले से ही बचत करना शुरू कर देता।
उन दोनों को मां के द्वारा जो भी जेब खर्च मिलता उसे सुरेश अपने बहन और राधिका अपने भाई को एक सुंदरतम प्रेम उपहार देने के लिए बचत करता। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। इस साल सुरेश अपनी कक्षा में प्रथम श्रेणी से पास हुआ, आज राधिका बहुत ही खुश थी। वह अपने भाई को इस बार और ही अधिक सुंदर राखी बांधना चाहती थी।
रक्षाबंधन का समय आ गया, राधिका अपने भाई के लिए बाजार से बहुत ही सुंदर राखी लाई थी। सुरेश स्नानादि से निवृत्त होकर आसन पर बैठा, फिर राधिका उसे राखी बांधी। पर यह क्या आज सुरेश के पास आज कुछ भी उपहार देने के लिए नहीं था। राधिका बोली भैया आज आप मेरे लिए कौन सी उपहार लाए हैं?
सुरेश अपनी बहन की माथा चूमते हुए कहा बहन आज मैं तुम्हें रक्षाबंधन का सबसे अनमोल उपहार दूंगा। राधिका बोली कैसा उपहार भैया? सुरेश बोला बहन आज मैं तुम्हें एक वचन देता हूं! कि तुम्हारा भैया मरते दम तक तुम्हारी रक्षा करेगा। और इतना ही नहीं मैं एक वादा भी करता हूं! कि मैं चाहे कहीं भी रहूं रक्षाबंधन में तुमसे राखी बंधवाने जरूर आऊंगा।
राधिका बहुत खुश हुई। समय गुजरता गया राधिका की शादी हो गई। सुरेश को भी बेंगलुरु में अच्छी सी नौकरी मिल गई। सुरेश की तरक्की दिन दूना रात चौगुना हो रही थी। वे अपने कार्य में इतना व्यस्त हो गये कि उसे रक्षाबंधन में अपनी बहन राधिका से राखी बंधवाने का वादा, एवं रक्षा करने की वचन दोनों भूल गए।
अब वह बहुत बड़ा अमीर बन चुका था। इसलिए अब वह घर भी आना जाना छोड़ दिया। अब उनके आगे पीछे कई नौकर चाकर लगे रहते थे। इससे अब वह गरीब लोगों से बातचीत तो दूर उसे देखना भी पसंद नहीं करता था। इधर राधिका की स्थिति बद से बदतर होता जा रहा था क्योंकि उनके पति को एक गंभीर बीमारी हो गया था।
वह प्रतिवर्ष अपने भैया को राखी जरूर भेजता, और कम से कम एक बार मिलने की विनती करता। उनकी पारिवारिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही थी इसलिए वह अपने भैया से एक बार मिलने की प्रार्थना करता। लेकिन आजतक सुरेश के द्वारा किसी भी प्रकार का न तो जवाब आया और ना ही कोई खत। राधिका अब टूट चुकी थी। राधिका को अपने पति के इलाज में सब कुछ बिक गया। अब वह दर दर की ठोकर खाने लगी।
डाक्टर भी उनके पति को जवाब दे दिया था। राधिका और उनके पति दर दर की ठोकर खाते हुए बेंगलोर पहुंची। वहां वह अपने पति को एक पेड़ के छांव में बिठाकर भीख मांगती और किसी तरह दोनों अपना पेट पालती थी। एक दिन राधिका का पति अचानक बहुत बीमार हो गया और मुंह से खून भी जाने लगा। राधिका पानी लेने नल की तरफ दौड़ी। उधर से सुरेश अपनी गाड़ी से आ रहा था, राधिका उस गाड़ी के नीचे आ गई उसे बहुत चोट लगी।
सुरेश गाड़ी से नीचे उतरा तब तक सुरेश के नौकर राधिका को सहारा देकर उठाया। राधिका अपने भाई को पहचान गया। और बोली भैया! लेकिन सुरेश अपनी बहन को पहचानते हुए भी बहन मानने से इनकार कर दिया। और अपने नौकर से कहा कि शायद यह लड़की पागल है। उसे अस्पताल पहुंचा दो।
राधिका की आंखें लाल हो गई। वह भीड़ को चिरती हुई और अपनी चोट को सहन करती हुई, सुरेश के पास पहुंची। और बिना कुछ बोले सुरेश के गाल पर दो थप्पड़ जमा दी। वहां खड़े भीड़ आश्चर्यचकित होकर देखते रहे की इतने बड़े आदमी को एक साधारण महिला थप्पर जमा दिया।
वहां खड़े लोग राधिका को पकड़ लिया। फिर राधिका जोर से बोली सुरेश मैं तुम्हारी वचन और वादा दोनों वापस करती हूं। तुम ने ठीक ही कहा कि मैं तुम्हारी बहन नहीं। सुरेश की आंखें शर्म से झुक गया। वह अपनी बहन की पैरों में गिर गया। दोनों की आंखों से अश्रु धार बहने लगी। दोनों के आंसू से सुरेश के मन पर पड़ा मैल धुल गया। उनकी पुरानी यादें ताजा हो गई।
फिर राधिका उसे अपने पति के विषय में सारी बात बताई। सुरेश राधिका को लेकर उनके पति के तरफ दौड़ा लेकिन बहुत देर हो चुका था। राधिका के पति इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे। दोनों दुःख के सागर में डूब गया।
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