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Savan Special Kake Ghage ka Prabhav: सावन के महीने में इस अंग पर बांधे काला धागा, हो जाओगे मालामाल

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Savan Special Kake Ghage ka Prabhav: सावन के महीने में इस अंग पर बांधे काला धागा, हो जाओगे मालामाल

नमस्कार दोस्तों आपका अपना Educational portal पर फिर से एक बार स्वागत है। सावन के महीने में हम लोग भोले शंकर के दीवाने बन गए हैं। वैसे भी सावन के महीने महादेव भोले दानी के लिए अति प्रिय माना जाता है। प्रिय दोस्तों आज के इस लेख में हम बहुत ही खास विषय पर चर्चा करने वाले हैं।

सावन के महीने में किस अंग पर यदि काले धागे बांध देते हैं तो धन्य धान्य से पूर्ण करेंगे महादेव।

प्यारे दोस्तों यदि आप भी कुछ नया सीखना चाहते हैं और अपने जीवन में परिवर्तन चाहते हैं तो इस शिक्षा से संबंधित ब्लोग को फोलो करें।

पूज्य गुरु जी अपने कथा के माध्यम से बताए हैं कि सावन के महीने में हमें शरीर की विशेष अंग पर धागा बांधने से क्या फायदा मिलता है, कौन-कौन से दोष दूर हो जाते हैं तमाम जानकारियां दी है।

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मात्र एक काला धागा बांधने से शनि का दोष खत्म हो जाएगा और घर धन-धान्य से भर जाएंगे। काल , सर्प दोष आदि समस्याओं से निजात मिल सकता है।

भोले शंकर की दया से आपकी सब मनोकामना पूरी हो जाएगी। आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। सावन का यह पवित्र महीना भोले शंकर को समर्पित है, यदि इस महीने में मन‌ कर्म वचन से भोले दानी के लिए समर्पित हो जाए तो आपका बाल बांका नहीं हो सकता।

दोस्तों आप बड़े-बड़े हस्तियों को शरीर के अंग पर काले रंग के धागा बांधे जरूर देखे होंगे। इसके पीछे कुछ ना कुछ राज छुपा हुआ है, इसे जानना बेहद जरूरी है। इतना ही नहीं शादीशुदा  के हाथों में या फिर पैर में भी आपको काले रंग के धागे बंदे दिख जाएंगे।

काला रंग नकारात्मक उर्जा उत्पन्न करता है, यह शनिदेव का रंग होता है तथा नकारात्मक शक्ति को समाप्त करने का क्षमता रखता है। इसीलिए कहीं कहीं पूजा अर्चना के समय भी काले रंग के धागे का उपयोग किए जाते हैं।

यहां पर आप देखते हैं कि छोटे बच्चों को काले रंग के टिके लगा दिए जाते हैं ताकि उनके ऊपर नकारात्मक शक्ति का प्रभाव न पड़े। अब एक प्रश्न उठता है कि काले रंग का धागा बांधना या फिर काले रंग का वस्त्र पहनना कहां तक उचित है।

काले रंग का वस्त्र पहनना यह अशुभ है किंतु काले रंग का धागा का एक अलग ही महत्व होता है। आप काले रंग के धागे की तुलना काले रंग की वस्त्र से कदापि नहीं कर सकते हैं। दोनों का अपना अलग-अलग महत्व होता है।

आपने मंदिरों में अनेक मूर्तियां देखे होंगे किंतु काले शालिग्राम को उत्तम माने जाते हैं। काले रंग का धागा अपने शरीर में बांधते हैं, यह काफी लाभकारी होता है। यह शरीर में नकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश नहीं करने देते हैं तथा अंदर की ऊर्जा को भी विद्यमान रखने में सहायक होते हैं।

काला धागा बांधने की प्रथा आज से नहीं है। लोग गले में, बाजू में यहां तक की पर में भी काले धागे बनते हैं। इसका मुख्य कारण यह नकारात्मक शक्ति को दूर करने में सहायक होता है।

भोले शंकर की पूजा अर्चना करते समय आपको कुछ बातों पर ध्यान देना‌ बेहद जरूरी है।

— इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

– सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें।

– दूध, दही, शहद और गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराएं और इसके बाद शुद्ध जल से अभिषेक करें।

– शिवलिंग का अभिषेक हमेशा तांबे के लोटे में जल भरकर ही करें।

– शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले चारों तरफ बनी जलहरी में दाहिनी तरफ जल चढ़ाएं, यह स्थान गणपति बप्पा का माना जाता है।

– इसके बाद बाईं ओर जल चढ़ाएं जो कार्तिकेय का निवास माना गया है।

– इसके बाद आप शिवलिंग के बीच में जल चढ़ाएं।

– शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद उसपर चंदन का तिलक लगाएं।

– बेलपत्र, फूल-माला, भांग-धतूरा आदि अर्पित करें।

– शिवलिंग की पूजा के बाद आप भगवान शिव की आरती करें और प्रसाद चढ़ाएं।

– यदि आप मंदिर में शिवलिंग की पूजा कर रहे हैं तो कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा न करें।

– ध्यान रहे कि कभी भी जलहरी को लांगना नहीं चाहिए।

आपको बता दें कि घर में अंगूठे से बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए तथा इसके ऊपर नित्य दिन जलधारा पड़ना चाहिए।

शिवलिंग पर आपको कभी भी कटे-फटे बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। बेलपत्र तोड़ते समय भी आप इस बात पर ध्यान रखें, और तीन पत्ती वाले ही बेलपत्र को तोड़े। आपको उस समय दो पत्तियां या फिर एक पत्ते वाली बेलपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए।

आप 6 महीने पहले तोड़े हुए बेलपत्र को भी पूजा में प्रयोग कर सकते हैं। क्योंकि बेलपत्र बासी नहीं होता है। साबूत बेलपत्र ही चढ़ाए, कटी फटी बेलपत्र को पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए।

बेलपत्र शीतलता प्रदान करती है इसीलिए बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है। भोले दानी ऐसे भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। इतना ही नहीं धार्मिक मान्यता है कि यदि आप दिल से शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं तो 21 मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

आपको भगवान शिव को कभी भी दूध में पानी मिलाकर नहीं चढ़ाना चाहिए। यदि आप पीतल के बर्तन में दूध लेकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं तो यह सर्वोत्तम माना जाता है। ‌ क्योंकि धार्मिक कर्म कांडों में पीतल की बर्तनों का विशेषमहत्व है।

प्रिय भक्तों यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट में बताने का प्रयासकरें। यदि आप भोले दानी के सच्चे भक्त हैं और शिव शंकर से भक्ति का वर प्राप्त करना चाहते हैं तो कमेंट में लिख डालिए हर हर महादेव।

मर जाना किंतु सावन में भूलकर भी यह पांच काम नहीं करना, नहीं तो बर्बाद हो जाओगे

सावन के महीने में इस अंग पर बढ़े काला धागा, हो जाओगे मालामाल

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