GK for SSC and Railway vadya yantra aur vadak: भारत के प्रमुख वाद्ययंत्र और उनके वादक
सामान्य ज्ञान का किसी भी प्रायोगिक परीक्षा में काफी अधिक महत्व होता है। GK for SSC and Railway यदि आप एसएससी रेलवे या अन्य कोई सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो सामान्य ज्ञान से प्रश्न आते हैं।
GK for SSC and Railway: भारत के प्रमुख वाद्ययंत्र और उनके वादक
दोस्तों, आज हम सामान्य ज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्नों के विषय में चर्चा करेंगे। Competitive exam में यहां से प्रश्न आते रहते हैं।
इस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं कि पंडित रविशंकर प्रसाद किस वाद्य यंत्र से संबंधित है?
इस प्रकार भी पूछा जाता है कि बिस्मिल्लाह खान निम्नलिखित वाद्य यंत्र से संबंधित है।
सितार के बारे में संक्षिप्त जानकारी
सितार वीणा और ईरानी तंबूरा का मिश्रण है। इश्कबाज यंत्र का आविष्कार अमीर खुसरो ने किया था।
भारत में सितार का प्रयोग शास्त्रीय संगीत में मुख्य रूप से प्रयोग होता है किंतु अभी के समय में संगीत के अन्य क्षेत्रों में भी इनका प्रयोग होने लगा। सितार पूर्ण रूप से भारतीय विद्या है।
सितार वादक ➭ पं. रविशंकर, उमाशंकर मिश्र, बुद्धादित्य मुखर्जी, विलायत खां, शाहिद परवेज, वंदेहसन
सरोद के बारे में संक्षिप्त जानकारी
सरोद एक ऐसा वाद्य यंत्र है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत में मुख्य रूप से होता है। भारत में इस वाद्य यंत्र का काफी लोकप्रियता है।
सरोद वादक ➭ अमजद अली खां, अलाउद्दीन खां, अली अकबर खां, विश्वजीतराय चौधरी, मुकेश शर्मा, बुद्धदेवदास गुप्ता ।
संतूर के बारे में संक्षिप्त जानकारी
संतूर को शततंत्री वीणा के नाम से जाना जाता है, क्योंकि संतूर में 100 तार लगे होते हैं। इस बाद यंत्र का आविष्कार लगभग 1800 वर्ष से भी पहले ईरान में हुआ, ऐसा माना जाता है। उसके बाद एशिया के अन्य देशों में भी प्रचलन में आया।
संतूर वादक ➭ शिवकुमार शर्मा, भजन सोपारी
शहनाई के बारे में संक्षिप्त जानकारी
भारतीय संगीत में शहनाई काफी लोकप्रिय है। स्वर्गीय उस्ताद बिस्मिल्लाह खान भारत में शहनाई के प्रसिद्ध वादक माने जाते हैं।
शहनाई लकड़ी की बनी होती है, ऐसा माना जाता है कि शहनाई का विकास पुंगी में सुधार करके किया गया है।
शहनाई की उत्पत्ति का एक अन्य सिद्धांत यह है कि यह नाम “सुर-नाल” शब्द का एक संशोधित रूप है।
शहनाई वादक ➭ बिस्मिल्ला खां, अली अहमद, हुसेन खां, दयाशंकर जगन्नाथ
बाँसुरी के बारे में संक्षिप्त जानकारी
बांसुरी काष्ठ वाद्य परिवार का एक संगीत वाद्य यंत्र है। बांसुरी एक एरोफोन या बिना नरकट वाला वायु उपकरण है , इस बाद यंत्र में एक छिद्र के पार हवा के प्रवाह से ध्वनि उत्पन्न किया जाता है।
होर्नबोस्टल-सैश्स के उपकरण वर्गीकरण के मुताबिक, बांसुरी को तीव्र-आघात एरोफोन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
बाँसुरी वादक➭ हरिप्रसाद चौरसिया, पत्रालाल घोष, राजेन्द्र कुलकुणीं, वी. कुंजमणि ।
तबला के बारे में संक्षिप्त जानकारी
तबला का प्रचलन मुख्य रूप से दक्षिण एशियाई देशों में हुआ, यह तालवाद्य यंत्र है। भारतीय संगीत में भी इसका प्रयोग खूब किया जा रहा है।
यह लकड़ी के दो ऊर्ध्वमुखी, बेलनाकार, चमड़ा मढ़े मुँह वाले हिस्सों के रूप में होता है।
तबला को रखकर बजाया जाता है इसके बजाने की परंपरा के अनुसार “दायाँ” और “बायाँ” कहते हैं।
18 वीं शताब्दी के बाद इसका प्रयोग शास्त्रीय एवं उप शास्त्रीय गायन-वादन में अनिवार्य रूप से होने लगा।
तबला वादक➭ जाकिर हुसैन, अल्ला रखा खां, गुदई महाराज, किशन महाराज, लतीफ खां, सुखविंदर सिंह ।
वायलिन वादक➭ टीएन. कृष्णन, डॉ. एन. राजम, एल. सुब्राह्मण्यम्
पखावज वादक➭ गोपाल दास, ठाकुर लक्ष्मण सिंह, छत्रपति सिंह, रहमान खां
रूद्रबीणा वादक➭ उस्ताद सादिक अली खां, असद अली खां
घटम वादक➭ टी०एच० विनायकराम, ई०एम० सुब्रमण्यम
वीणा वादक➭ एस. बालचंद्रन, कृष्ण भागवतार, बदरुद्दीन डागर
सारंगी वादक➭ शकूर खान, पंडित राम नारायण, रमेश मिश्रा, सुल्तान खान
मृदंग वादक➭ ठाकुर भीकम सिंह, जगदीश सिंह, पालधार रघु
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