Concept of Mathematics |
गणितीय अवधारणा (concept) मूर्त से अमूर्त की ओर विकसित (Developed ) होती है यहां हम उदाहरण के साथ देखेंगे । हमारे समाज में ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक है जो कभी स्कूल नहीं गए किंतु अपने दैनिक जीवन में गणित का बखूबी से प्रयोग कर लेते हैं कहने का तात्पर्य है कि हमारे चारों तरफ गणित ही गणित है ।
आप बढई (carpenter) को काम करते देखते होंगे , उनमें जो पढ़े हैं उनके विषय में कुछ कहना ही नहीं चाहता, किंतु अपने गांव बहुत ऐसे लोग मिलेंगे जो कभी स्कूल( school) नहीं गए और बिना परेशानियों के काम कर रहे हैं नाप-जोख कर रहे हैं ।
मकान बनाते मजदूर (worker) को देख लीजिए वह कैसे धागे-गोली की सहायता से काम करते हैं जमीन को बांटते हैं और फिर एक बहुत सुंदर भवन का निर्माण करते है। एक चित्रकार( Painter) चित्र को देखकर हूबहू चित्र बना डालते हैं इतना ही नही ढेर सारे उदाहरण अपने समाज ( society )में व्याप्त है जहाँ बिना पढ़े-लिखे अपना काम अच्छी तरह से कर लेते हैं।
*गणितीय प्रक्रिया का क्या महत्व ( Importance)है इस पर भी हम विचार करें अमूर्त वस्तुओं और उनके बीच संबंध ( relation)की दुनिया ही गणित है। गणित करने के लिए इसे जान लेना आवश्यक है क्योंकि यह बच्चों की समझ को विकसित करती है साथ साथ गणित की सोपान क्रमिक संरचनाओं को भी समझ ( understand) लेना अति आवश्यक है। दुनिया की किसी भी विषय वस्तु का ज्ञान ( Knowledge) हो वे सभी ठोस अनुभवों (Concrete experiences)से विकसित होती है । गणित में भी यही है
अब हम लोग यहां गोलाई पर संकल्पना ( Concept) करते हैं । हमारे चारों तरफ बहुत सारे वस्तुएं हैं जो गोलाई में है जैसे लड्डू, फुटबॉल, संतरा आदि। बच्चे को इसे दिखाकर गोलाई (Sphericity)की अवधारणाएं विकसित कराई जाती है धीरे धीरे धीरे यह मस्तिष्क ( Brain) में बैठ जाते हैं और गोल वाले वस्तुओं को आसानी से अलग कर लेते हैं । वही बच्चे फिर गोलाई की अवधारणा को अमूर्त(Intangible) वस्तुओं से अलग करने लगते हैं जिसे उसने सीखा (learnt)और अवधारणा ( concept)ऐसा बन जाता है की उन्हें कभी भी गोलाई के लिए गेंद तरबूज आदि के विषय में सोचना नहीं पड़ता और आसानी से बता देता है। अत: गणितीय अवधारणा(concept) मूर्त से अमूर्त की ओर विकसित होती है .
सतीश कुमार
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