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बिल्ली का बच्चा (हिंदी कहानी) लेखक- राजहंस | Billi ka Bachcha Hindi kahani by Rajhans

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Hindi kahani billi ka baccha lekhak Rajhans
Hindi kahani Billi ka Baccha Lekhak Rajhans

बिल्ली का बच्चा (हिंदी कहानी) लेखक- राजहंस | Billi ka Bachcha Hindi kahani by Rajhans: Hindi kahani , Hindi story by Rajhans, Hindi kahaniyan, marmik kahaniyan, Navin Hindi kahaniyan. नमस्कार दोस्तों एजुकेशन पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम आपके बीच एक कहानी लेकर  हाजिर हैं। कहानी का  रचनाकार राजहंस कुमार है। इस कहानी के पात्र और घटनाएं काल्पनिक है। बिल्ली का बच्चा ( हिन्दी कहानी) को अंत तक पढ़े।

बिल्ली का बच्चा (हिंदी कहानी) लेखक- राजहंस | Billi ka Bachcha Hindi kahani by Rajhans

मेरा घर जो बनाया गया उस समय उनके ऊपर छत से सटी हुई दोनों ओर बॉक्स बना दिया गया था। उस बाॅक्स में घर की विभिन्न वस्तुओं को रख दिया जाता था। वह बॉक्स इतना बड़ा था जिसमें बहुत सारी वस्तुएं व्यवस्थित रूप से रखने में आसानी होती थी। यह घटना उस समय की है जिस समय मेरा घर प्लास्टर भी नहीं किया गया था। उस बॉक्स में कई जगह रोशनदान लगाने के लिए वर्गाकार जगह छोड़ दिए गए थे।

उस समय हमारे घर में कोई दरवाजा नहीं लगा हुआ था। घर के ठीक सामने एक रसोईघर था। जिसमें एक ओर से मचान डालकर ऊपर से उपले लदे हुए थे। एक घर में बांस की बनी हुई एक अनाज रखने वाला खाली धड़क पड़ा हुआ था।

एक दिन मैं घर के सामने खाट पर बैठा हुआ था। मेरी पत्नी बगल में बैठी किसी काम में व्यस्त थी‌। इतने में एक बिल्ली म्याऊं म्याऊं करती हुई आंगन में प्रवेश किया और घर की तरफ जाने लगी। वह बिल्ली गर्भवती थी, मेरी पत्नी बिल्ली को देखते ही उसे मारने के लिए दौड़ी, लेकिन मैं उसे रोक दिया और यह कहा कि अभी वह मत भगाओ क्योंकि वह अभी पेट से है। उसे भी दया आ गई और वह उसे छोड़ दी।

बिल्ली घर में प्रवेश कर गया, उस दिन के बाद वह उसी घर में उसी बॉक्स में रहने लगी। उसे किसी प्रकार का भय नहीं था। उसे जब दिल करता आती जब चाहती चली जाती। वह बिल्ली उसी बॉक्स में दो बच्चे को जन्म दिया। उस बच्चे की आवाज हम लोग रोज सुना करते थे। बच्चे को जन्में लगभग चार दिन हुए होंगे। इस बात की खबर एक बिल्ला को हो गया।

अब वह हमारे घर के आस-पास मंडराने लगा, कि कब अवसर मिलेगा और उस बच्चे को दबोच दू। लेकिन आंगन में हम लोग रहते थे, इसलिए वे सफल नहीं हो पाता था‌। एक दिन अचानक वे बिल्ली उस बॉक्स से कहीं चली गई। और लगभग चार दिन तक वापस नहीं आयी। इस बीच उनका दोनों छोटे बच्चे उस बॉक्स में हमेशा रोता रहता।

हम लोग उस बच्चे की हालत को देख बहुत चिंतित हो रहे थे, कि अब इसे कैसे बचाया जाए। शायद उनकी मां किसी अन्य बिल्लियों के साथ भाग गई होगी। इसी बीच एक दिन एक बच्चा उस बॉक्स से नीचे गिर गया और गली में रो रहा था‌। जब इस बात का पता मेरी पत्नी को चला तो वे एक पड़ोसी को बुलाकर बोली कि आप इस बच्चे को किसी तरह रात भर रख लीजिए, और उसे पिलाने के लिए मुझसे दूध ले जाइएगा।

वह पड़ोसी उस बच्चे को उठा लिया और अपने यहां चला गया मेरी पत्नी ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि हम लोग बिल्ली नहीं पालते उसे हमसे कहीं डांट नाश खाना पड़े। इसलिए उस दिन शाम को पड़ोसी आकर मेरे पत्नी से दूध ले गया और किसी तरह उस बच्चे को रात भर रखा। सुबह होते हीं उसे वह उसी गली में छोड़ दिया फिर वह बच्चा रोते हुए अपनी मां को पुकारने लगा।

शायद भगवान उनकी पुकार सुन लिया और उस दिन उनका मां वापस आ गई। अब हम लोग के जान में जान आई और हम लोग फिर से तनाव मुक्त हो गए। कि अब उनका मां बच्चे को पाल लेंगे। उन बच्चे की मां बाहर क्यों गई थी इसके विषय में तो मैं कुछ नहीं कह सकता। लेकिन वह आते ही अपने बच्चे को उस बॉक्स से निकालकर उस अनाज वाले बांस के धक में डाल दिया। लेकिन फिर भी वह बिल्लियां बेचैन रहती थी।

Hindi story and poem by Rajhans

 

क्योंकि वह बार-बार बाहर जाती और फिर लौट आती। एक दिन के बाद वह अपने बच्चे को उस धक से भी निकाल कर दूसरे किनारे वाले बॉक्स में रख लिया‌। लेकिन पता नहीं भगवान को क्या मंजूर था। एक दिन वह दरिंदा बिलार उस बच्चे का पता लगाकर उस बॉक्स में प्रवेश पा लिया। उस दिन हम घर पर थे। लेकिन हम लोग उसे बॉक्स में जाते नहीं देख पाया।

इतने में उस बॉक्स से हड़बड़ाहट की आवाज सुनाई दिया। शायद बिल्ली अपने बच्चे को बचाने के लिए बिलार पर टूट पड़ा था‌। लेकिन इसी बीच बच्चे की चीखने की आवाज सुनाई दिया। और वह बिलार एक बच्चे को गर्दन पर दांत से पकड़ आकर उस वर्गाकार खुले भाग से बाहर नीचे फेंक दिया‌।

इतने में उनकी मां ऊपर से छलांग लगाई और बच्चे तक पहुंच गई। इसी बीच वह बिलार दूसरे बच्चे का भी काम तमाम कर दिया था। और ऊपर से नीचे देख रहा था इस घटना को देख कर मेरा दिल द्रवित हो उठा और मुझे गुस्सा आ गया।

जिस समय उस बच्चे का मां अपने बच्चे के पास दौड़ कर आई मुझे लगा कि यही बिल्ला है, और उस बच्चे को मार कर खून पीना चाहता है। मैं बगल में रखा हुआ बांस की एक डंडा लेकर दौड़ा। लेकिन उस समय एक अजीब घटना घटी वह बिल्ली भागी नहीं खड़ी रही और जैसे वह मुझसे प्राण की भीख मांग रही हो। मुझे समझते देर नहीं लगा कि वह बच्चे की मां है‌।

मैं उसे छोड़ दिया और ऊपर देखा तो वह दरिंदा दिखाई दिया। फिर मैं उनकी और अपनी डंडा फेंका वह डर के मारे भाग गया‌। इतने में उस बच्चे की मां अपने बच्चे तक पहुंच चुकी और अपने बच्चे की खून को चाटने लगी‌। इस घटना को देखकर मेरी पत्नी लगभग बेहोश सी हो गई ।मैं जैसे तैसे उसे संभाला। बिल्ली लगभग एक घंटे तक उस बच्चे को अपनी जीभ से चाटती रही। कि कहीं उनका लाडला जीवित हो जाए।

उस दिन मैं एक जानवर कि उस करुणामई दृश्य को देखा, जो इंसान के जीवन से भी बढ़कर था। उनका भय समाप्त हो चुका था। वह शोक सागर में डूब चुकी थी। और रो रही थी बिलख रही थी। थोड़ी देर के बाद उस बच्चे को वह अपनी मुंह में उठाकर उस रसोई घर के मचान के नीचे ले गया। वहां भी उन्हें अपने जीभ से दुलारता रहा।

लेकिन उनका लाडला इस दुनिया को छोड़ कर जा चुका था। कुछ समय के बाद वह उसे मुंह में लेकर आंगन से बाहर चली गई। शाम ढलने पर वह मेरे आंगन में आकर बैठ गयी। और फफक फफक कर रो रही थी । जैसे हम उसे अपने हों और वह हमसे सांत्वना की भीख मांग रही थी। हम सब उनके पास जाकर उनके पीठ पर हाथ रखा और उसे साहस बंधाया।

कुछ देर के बाद शायद उसे उस बच्चे की याद आई, जिस मृत बच्चे को वह कहीं छोड़ आई थी। वह उठी और दौड़ कर भाग गई और फिर वह हम लोगों को कभी नजर नहीं आई।

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