मां कात्यायनी की उपासना, पूजन विधि, मंत्र और भोग सब कुछ जाने
मां कात्यायनी की उपासना Navratri :
माता का छठा रूप माता कात्यायनी का है। इस रूप में माता जी महिषासुर और शुभ-निशुभ जैसे दानव का वध कर भक्तों को दुष्टों से रक्षा की है।
भक्तों नवरात्रि में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी की पूजा अर्चना मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और श्रीकृष्ण ने भी की थी।
मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी भी कहते है। माता ने महिषासुर, शुम्भ और निशुम्भ का वध कर नौ ग्रहों को उनकी कैद से मुक्त किया।
महर्षि कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण माता कात्यायनी मां विख्यात हो गया।
कात्यायनी माता पूजा- विधि-
माता की पूजा अर्चना तथा भोग के विषय में भी हम जानेंगे। सुबह सवेरे उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर, माता की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराना, फिर उसके बाद पीले रंग के कपड़े तथा पुष्प अर्पित करना है। मां कात्यायनी को रोली कुम कुम जरूर लगाएं। माता को पांच प्रकार के फल तथा मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए।
मां कात्यायनी मंत्र का जाप करें
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
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Note — भक्तों इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं तथा लौकिक मान्यताओं के आधार पर है। अधिक जानकारी हेतु विशेषज्ञ या पंडित से जरूर संपर्क करें।
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