द्वालख में ग्रामीण कलाकारों द्वारा विद्यापति उगना नाटक का मंचन
नाटक हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। अपने जीवन में जो कुछ हम कर रहे हैं, एक नाटक ही तो है। बीते रात दुर्गा नाट्य कला परिषद द्वालख द्वारा एक धार्मिक नाटक का आयोजन किया गया- विद्यापति उगना
प्रस्तुतीकरण और साज-सज्जा प्रशंसनीय रहा, नाटक में भाग लेने वाले कलाकारों को Newsviralsk टीम की ओर से धन्यवाद।
यह नाटक विद्यापति उगना से संबंधित था। आपको पता होगा कि एक बार भगवान शंकर उगना का रूप धारण कर विद्यापति के घर नौकरी करने आए थे। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि– भगत के बस में है भगवान, भक्त के बिना भगवान भी अधूरा है।
और जब विद्यापति जैसा भक्त हो तो बात ही कुछ और हो जाता है। इस नाटक के माध्यम से ग्रामीण कलाकारों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। नाटक परंपरा को फिर से जीवित कर समाज में एक नया क्रांति ला दिया है।
हमारे जीवन में नाटक का अहम भूमिका है। यदि कोई छात्र है तो उन्हें नाटक में भाग लेना ही चाहिए। नाटक के माध्यम से हम अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं। हम अभिव्यक्ति को दूसरों के सामने व्यक्त करने का कला सीखते हैं।
ऐसा भी कह सकते हैं की नाटक पर्सनालिटी डेवलपमेंट का एक बहुत बड़ा हिस्सा है।
पब्लिक स्पीकिंग आज के समय रोजगार का सबसे अच्छा साधन बन चुका है। इसलिए शिक्षा के साथ यह होना अनिवार्य है।
शिक्षा के साथ गीत संगीत का होना भी जरूरी है। माता सरस्वती के हाथ पुस्तक के साथ वीणा भी है। अर्थात ज्ञान के साथ संगीत की जरूरत होती है।
नाटक हमें यही सिखाता है– भीड़ में कैसे बोले, अपने अंदर लीडरशिप क्वालिटी, टीम में काम करना, अनुशासन, अपना विचार दूसरों के बीच रखे इत्यादि।
अंत में हम सभी ग्रामीण कलाकारों को फिर हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूं और उनसे आग्रह करता हूं कि अपने ग्रामीण परिवेश में नाटक का आयोजन जरूर होना चाहिए। चुकी इससे फायदा ही फायदा है। हमारे आने वाले जनरेशन पर एक अच्छा प्रभाव पड़ने वाला है। बहुत-बहुत धन्यवाद।
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