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चमगादड़ का जन्म -अंडमान निकोबार की लोक कथा

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चमगादड़ का जन्म (लोक कथा) : ( Chamgadar Ka janm Lok katha ) नमस्कार दोस्तों आज का यह लोक कथा काफी रोचक होने वाला है। आज आपके बीच अंडमान निकोबार की लोक-कथा चमगादड़ का जन्म लेकर हाजिर हूं।

चमगादड़ का जन्म (लोक कथा)

सैकड़ों वर्ष पहले की बात एक विदेशी जलपोत दूर से आ रहे थे। वे लोग नदी के किनारे तक नहीं पहुंच सके और तूफान में फंस गए। लाख कोशिश करने के बाद वे अपने नाव को बचा न सके। नाव एक बड़ा चट्टान में जाकर टकराकर चकनाचूर हो गया।

अधिकांश लोग डूब गए, बचे हुए नाविक तैरते हुए किमिओस द्वीप पर जा पहुँचे। उनके शरीर घायल थे, कपड़े भी फट चुके थे।

द्वीप पहुंचने के बाद बेहोश होकर लेट गए। काफी समय बाद होश आई, अब वे लोग भोजन की तलाश में इधर उधर भटकना शुरू कर दिए।

तूफान थम चुका था, मौसम भी शांत था। भोजन की तलाश में वह निकट के जंगलों में पहुंचे, जंगल में लंबे-लंबे नारियल के पेड़ थे। उस पर चढ़कर वे लोग नारियल का पानी पिये और उसका फल खाकर अपने भूख  मिटाएं। रात्रि का समय था, चारों तरफ अंधेरा उस समय वे कहां जा पाते। पूरी रात पेंर में लटके रहे।

“अण्डमानी आदिम जनजाति” के लोगों का मानना है कि रात भर वृक्ष की शाखाओं से लटके वे लोग चमगादड़ बन गए, इससे पहले वहां एक भी चमगादड़ नहीं था। यही चमगादड़ सारे जंगलों में भी फैल गए।

प्यारे दोस्तों “चमगादर का जन्म” अंडमान निकोबार की लोक-कथा आपको कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बतावे।

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