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Batchit HINDI 100 MARKS | बातचीत प्रश्न ( लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )

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Batchit HINDI 100 MARKS | बातचीत प्रश्न ( लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
Batchit HINDI 100 MARKS

Table of Contents

Batchit HINDI 100 MARKS | बातचीत प्रश्न ( लघु उत्तरीय प्रश्न एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )

1.अगर हमारे वाक शक्ति ना होती तो क्या होता?

उत्तर –हममें वाक्शक्ति न होती तो मनुष्य गूंगा होता, वह मूकबधिर होता। मनुष्य को सृष्टि की सबसे महत्वपूर्ण देन उसकी वाक्शक्ति है। … यदि हममें इस वाकशक्ति का अभाव होता तो मनुष्य जानवरों की भाँति ही होता। वह अपनी क्रियाओं को अभिव्यक्त नहीं कर पाता। हम लोग बोलकर एक दूसरे के सुख-दुख का अनुभव करते हैं।
यदि भाग शक्ति नहीं होती तो एक दूसरे से का सुन भी नहीं सकते और ना ही अनुभव की कल्पना कर पाते।

2.आर्ट ऑफ कन्वर्सेशन क्या है?

आर्ट ऑफ़ कन्वर्सेशन का मतलब बात करने का कला होता है। वैसे तो हर कोई बात करता है लेकिन जब इस तरीके से बात किया जाए की सामने वाला बात को ध्यान से सुने। यह यूरोप के लोगों से अधिक प्रचलित है। आर्ट्स का कन्वर्सेशन बातचीत करने की एक अनोखी कला है जब कोई व्यक्ति चतुराई के साथ कुछ प्रसंग को छीन जाते हैं तो सुनकर कानों को अत्यंत सुख प्राप्त होता है। बातचीत के दौरान भाव प्रकट करना, गोष्ठी आदि में आपको देखने को मिलता है। आर्ट शॉप कन्वर्सेशन मनुष्य के द्वारा आपस में बातचीत करने की एक उत्तम कला है। जो मानव की बातचीत को सदैव सुखद बनाए रखना है।

3.बातचीत के संबंध में वेन जॉनसन और एडिसन के क्या विचार हैं?

उत्तर –बातचीत के विषय में विद्वानों का अपना-अपना मत है। विद्वान लोग अपने-अपने ढंग से अपना विचार रखते हैं। ‌ इनमें बेन जॉनसन और एडिसन के विचारों को लेखक ने यहाँ उद्धृत किया है। बेन जॉनसन के के अनुसार बातचीत मनुष्य के रूप को साक्षात्कार करता है। ‌ खाने का मतलब यह हुआ कि जब मनुष्य बोलता है तभी उनके दोष और गुण प्रकट होते है। दूसरी तरफ एडिशन का कहना है कि असली बातचीत केवल दो व्यक्तियों के बीच में होती है। जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते रहते हैं तो वह अपने दिल की बात एक दूसरे के सामने खोल कर रख देते हैं। किंतु जब तीसरा व्यक्ति पहुंच जाता है तो बातचीत का धारा ही बदल जाता है। और जब बातचीत करते समय चार व्यक्ति हो जाए तो बेतकल्लुफी’ का स्थान ‘फार्मेलिटी’ मात्र रह जाता है। इस प्रकार ऐसा देखा जाता है कि बातचीत सारगर्भित न होकर मात्र रस्म अदायगी भर रह जाती है।

मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है? इसके द्वारा हुआ कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन संसार की रचना कर सकता है?

4. मनुष्य की बातचीत का उत्तम तरीका क्या हो सकता है ? इसके द्वारा वह कैसे अपने लिए सर्वथा नवीन संसार की रचना कर सकता है ?

उत्तर — मनुष्य की बातचीत का सबसे उत्तम तरीका उसका आत्मवार्तालाप है। बातचीत एक वरदान है। मनुष्य अपने अंदर ऐसी शक्ति विकसित करें जिससे वह विशेष समय पर अपने आप से भी बात कर लिया करें।

आत्मवार्तालाप से तात्पर्य क्रोध पर नियंत्रण है बातचीत कैसे किया जाए जिससे कि किसी व्यक्ति को कष्ट न पहुंचे। क्योंकि भीतरी मनोवृति नए-नए रंग दिखाते रहते हैं। वह चंचल होता है और परिवर्तित होते रहते हैं। यहां लेखक का कहना है कि प्रपंचात्मक एक बहुत बड़ी आईना है जिसमें व्यक्ति जैसा चाहे वैसा सूरत देख सकता है।
ऐसे में मनुष्य को बोलते समय मां की चित्र को एकाग्र कर मनोवृति स्थिर कर बातचीत करना चाहिए।

यदि आप सही तरीके से बातचीत नहीं करेंगे तो यह समस्याएं पैदा कर सकती है। बातचीत का मानव जीवन में बहुत बड़ा महत्व होता है। अगर भूल कर भी आपके द्वारा मुख से गलत शब्द निकल जाता है तो उसका गलत परिणाम देखने को मिलता है। बातचीत के दौरान आपको बड़े छोटे का कद्र करना होगा। यदि आप वाणी को नियंत्रित करके बोलते हैं तो दुनिया आपको चाहते हैं किंतु जब वहां ही खराब होता है तो आपके शत्रु भी बन जाते हैं।

अतः मनुष्य को जीव काबू में रखकर मधुरता से बोलना चाहिए ना कि किसी से कटुता रहेगी ना बैर और उसे स्थिति में दुनिया खूबसूरत हो जाएगी।

5.सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं तब तक उसका गुण दोष प्रकट नहीं होता । व्याख्या करें

उत्तर –यह पंक्तियां बालकृष्ण भट्ट’ द्वारा रचित निबंध “बाचचीत” से ली गई हैं। यह बात सही है कि जब तक मनुष्य बोलता नहीं है तब तक उनके गुण दोषो का पता नहीं चलता। बोलने से ही मनुष्य का साक्षात्कार होता है और उनकी स्वयं पहचान बनती है। चुप रहने से पहचान बाहर नहीं निकल पाता।
लेखक का कहना है कि बातचीत का एक विशेष तरीका होता है जिसके द्वारा मनुष्य आपस में प्रेम से बात करके आनंद उठा सकते हैं। किंतु जब व्यक्ति वाचल हो जाता है तो उसे समय वह अपने आप पर काबू नहीं रख पाता जो की यह एक दोष है। उसे समय उनके मुख से गलत शब्द निकलने लगते हैं। और इसका परिणाम भी गलत ही होता है। दूसरी तरफ जब व्यक्ति सलीके से बातचीत करता है तो वह एक गुण होता है। ऐसे व्यक्ति से बातचीत करने पर आनंद का अनुभव होता है। ऐसा इच्छा होता है कि उनके बात को सुनते रहे। इस प्रकार की बातचीत कर्ण प्रिय होते हैं।

मनुष्य के चुप रहने से उसके चरित्र का कुछ पता ही नहीं चलता, जब वह बोलते हैं फिर जाकर गुण और दोष प्रकट होता है। जब दो व्यक्ति आपस में बातचीत करते हैं तो वह एक दूसरे के दिल की बात बताते हैं। मुख्य रूप से देखा जाए तो सबसे अच्छी बातचीत दो व्यक्तियों के बीच में ही होता है। किंतु जब तीसरा व्यक्ति पहुंच जाता है तो बातचीत का धारा ही बदल जाता है। वेन जॉनसन इस संदर्भ में रहते हैं कि बोलने से मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है उसकी पहचान सामने आती है ‌

6.विभिन्न व्यक्तियों के वार्तालाप का विषय क्या रहता है?

उत्तर –वार्तालाप दो या दो से अधिक लोगों के बीच संवादात्मक संचार है। बातचीत के कौशल और शिष्टाचार का विकास समाजीकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक नई भाषा में बातचीत कौशल का विकास भाषा शिक्षण और सीखने को
दर्शाता है। विद्वानों का कहना है की वार्तालाप समाजशास्त्र की एक शाखा है जो बातचीत संबंधी बातचीत पर विशेष ध्यान देने के साथ मानव बातचीत की संरचना और संगठन का अध्ययन करती है।
हमारे समाज में प्रत्येक वर्ग की वार्तालाप का रूप अलग-अलग होता है। ऐसे भी कहा जा सकता है कि बातचीत का अनेक भेद है। जब आप दो बूढ़े व्यक्तियों को बातचीत करते हुए देखेंगे तो आपको मूल रूप से जमाने की शिकायत जैसी बातचीत देखने को मिलेगा। अभी बाबा लोग आदम के समय की ऐसी कहानी सुनने लगते हैं जिसमें चार सच तो दस झूठ होता है। उनके बातचीत में आपको अंग्रेजी राज, प्रदेश और पुराने समय के रीति रिवाज से संबंधित जानकारियां मिलेगी।
दो सहेलियों के बीच बातचीत का एक अलग ही भाव होता है उनके बातचीत में रस का समुद्र मानो उमड़ा चला आ रहा है ऐसा दिखता है।

दो बुढ़िया के बीच बातचीत करने का कुछ अलग ही तरीका होता है। जब यह दोनों एक साथ बैठकर बातचीत करती हैं तो अपनी बहुओ और बेटों का गिला शिकवा होता है। जब दो लड़के आपस में बातचीत करते हैं तो वहां भी एक अलग स्वभाव उत्पन्न होता है।

ऐसे में देखा जाए तो बातचीत की और बहुत सी किस्म है ‌ । राजकाज की बात, व्यापार संबंधी बातचीत, दो मित्रों में प्रेमालाप इत्यादि

7.बालकृष्ण भट्ट द्वारा रचित निबंध बातचीत के केंद्रीय भाव को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर–इस बातचीत की सीमा दो से लेकर वहाँ तक रखी जा सकती है, जहाँ तक उनकी जमात मीटिंग या सभा न समझ ली जाए। एडीसन के अनुसार असली बातचीत केवल दो व्यक्तियों के बीच हो सकती है। कहने का मतलब यह हुआ कि जब दो आदमी बातचीत करते हैं तो वह अपने दिन एक दूसरे के सामने खोल कर रखते हैं। किंतु जब तीसरा व्यक्ति आ जाता है तो बातचीत का धारा ही बदल जाता है।

यहां लेखक बालकृष्ण भट्ट बातचीत पर अपना विचार प्रकट किए हैं। उनका कहना है कि हमारी सारी क्रियाओ का आधार बातचीत है। मनुष्य की बातचीत का सबसे उत्तम तरीका उसका आत्मवार्तालाप है। बातचीत एक वरदान है। मनुष्य अपने अंदर ऐसी शक्ति विकसित करें जिससे वह विशेष समय पर अपने आप से भी बात कर लिया करें।

आत्मवार्तालाप से तात्पर्य क्रोध पर नियंत्रण है बातचीत कैसे किया जाए जिससे कि किसी व्यक्ति को कष्ट न पहुंचे। क्योंकि भीतरी मनोवृति नए-नए रंग दिखाते रहते हैं। वह चंचल होता है और परिवर्तित होते रहते हैं। यहां लेखक का कहना है कि प्रपंचात्मक एक बहुत बड़ी आईना है जिसमें व्यक्ति जैसा चाहे वैसा सूरत देख सकता है।
ऐसे में मनुष्य को बोलते समय मां की चित्र को एकाग्र कर मनोवृति स्थिर कर बातचीत करना चाहिए।

8.बातचीत का भी एक खास तरह का नशा होता है। इस कथन को स्पष्ट करें।

उत्तर –यह बात बिल्कुल सही है बातचीत का एक खास तरह का नशा होता है। यह हमारे चरित्र को हल्का करती है तथा स्वच्छ बनाकर आनंद प्रदान करती है। जिन व्यक्ति को एक बार बातचीत करने का लत लग जाए फिर उन्हें खाना पीना भी अच्छा नहीं लगता। ऐसे व्यक्ति बातचीत का मजा लेना छोड़ना ही नहीं चाहते हैं। लेखक ने रॉबिंस क्रूसो के माध्यम से तथ्य को स्पष्ट किया है। बातचीत के आनंद को प्रस्तुत करने का प्रयास किए हैं। यहां पर एक कहानी साझा किया गया है। वह 16 वर्ष तक जंगल में रहा उसको मानव वाणी सुनने का अवसर नहीं मिला। 16 वर्ष की उपरांत उसने फ्राइडे के मुख से एक बात सुनी। हां वह जंगली बोली में कहा था। किंतु ऐसा बालों की उसने फिर से नए सिरे से आदमी का चोला पाया है।

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