बिजली के तार पर बैठे पक्षियों को करंट नहीं लगता , क्यों? :(Bijali ke tar per baithe pakshiyon ko current Nahin Lagta) बिजली तार पर बैठे पक्षियों को करंट क्यों नहीं लगता रोचक पोस्ट आपके लिए लाया हूं। नमस्कार दोस्तों एजुकेशन पोर्टल NewsViralSK में बहुत-बहुत स्वागत है। बिजली के तार पर बैठी पक्षियों को करंट नहीं लगता है हमारे शरीर में भी खून है और पक्षियों के शरीर में भी खून फिर पक्षियों को कुछ नहीं होता इसके पीछे क्या वैज्ञानिक कारण है इस पोस्ट में हम जानने का प्रयास करेंगे।
बिजली के तार पर बैठे पक्षियों को करंट क्यों लगते हैं | Important GK in Hindi
हम जानते हैं कि बिजली का करंट केवल सुचालक वस्तुओं से होकर प्रवाहित होती है। सभी धातुओं और जीवित प्राणी से होकर विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
सूखी मिट्टी विद्युत का कुचालक होता जबकि गीली मिट्टी विद्युत का चालक होता है। पृथ्वी सबसे बड़ा विद्युत का चालक है। विद्युत का प्रभाव लाइव फेज से न्यूट्रल की तरफ होती है।
जब पक्षी या किसी एक तार पर बैठती है उस समय विद्युत का सर्किट पूरा नहीं होता। किंतु जब वही पक्षी किसी दो तार से सट जाते हैं , तो फिर वह विद्युत के चपेट में आकर मर जाते हैं।
उस समय उस पक्षी के शरीर से विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है, यहां हम यह कह सकते हैं कि विद्युत धारा का सर्किट पूरा होने के लिए बीच का माध्यम होना अति आवश्यक है। इसलिए बिजली के तार पर बैठे पक्षियों को कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
अर्थिंग सिस्टम का योगदान
बिजली करंट से बचने के लिए घरों में अर्थिंग का होना जरूरी है। अर्थिंग सिस्टम से घरों में लगे उपकरणों पर बिजली का खतरा नहीं होता।
विद्युत परिपथों को धरती सेजोड़ना, भूसम्पर्कन (ग्राउण्डिंग) कहलाता है। विद्युत परिपथों को धरती से विद्युत सम्पर्क बनाने के कई कारण हैं।
भूसम्पर्कन से हमें बिजली झटका लगने से बच जाते हैं।
घरों में लगे उपकरणों पर विद्युत का खतरा नहीं होता।
कुछ परिपथों में धरती ही एक चालक के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
भूसम्पर्कन के प्रकार
भूसम्पर्कन के मुख्यतः दो प्रकार है, जो निम्न है । पाइप भू संपर्कन और प्लेट भू संपर्कन
पाईप भूसम्पर्कन
इस भू संपर्क करने में पाइप का उपयोग किया जाता है। लोहे के पाइप को गड्ढे खोदकर डाले जाते है। इसमें मोटे कोयले और नमक का उपयोग किया जाता है।
पाइप का ऊपरी छोर तार से जोड़ाकर मुख्य स्विच से कनेक्ट किया जाता है।
प्लेट भूसम्पर्कन
प्लेट 60 cm मोटी और 5 mm मोटी 60 cm की तांबे या कच्चा लोहे के प्लेट बनाए जाते हैं। प्लेट को गड्ढे में डालकर उसमें चारकोल और नमक डाला जाता है। प्लेट के केंद्र से जुड़े तार को मुख्य स्विच से कनेक्ट करते है। प्लेट को अच्छी तरह से मिट्टी से ढक दिया जाता है।
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