बाढ़ का कहर (हिंदी कविता) रचनाकार- अमित आनंद: (Badh ka kahar hindi kavita amit Anand) नमस्कार दोस्तों एजुकेशनल पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम बाढ़ का कहर (अमित आनंद) कविता लेकर हाजिर है।
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बाढ़ का कहर (हिंदी कविता) रचनाकार- अमित आनंद (Badh ka kahar hindi kavita -Amit Anand)
जुलाई महीना आए मेहमान बन कर,
साथी लाए बाढ़ को बनाकर।
खेत तो खेत डुबी,
जान डूबी बेहाल बनकर।।
किसान मरे कर्ज में डूब कर,
आंसू निकले फसल देखकर।
बच्चे रोए भूखे रहकर,
सेठ दौड़े समय देखकर।।
देखते-देखते अगस्त आए,
पानी से भरे बहाव लाए।
फसल का तो फसल गया,
घर दरबार भी काट ले गए।।
आर्थिक संकट आई जमकर,
किसान गए काम पर बनकर।
पहले रोज ना काम मिले,
खाली हाथ आए वो लौटकर।।
बड़ी मशक्कत से पहचान बना,
स्वच्छता अभियान में काम मिला।
बच्चे को रोटी देखकर,
बेचारे को आराम मिला।।
एक साल तक रहा कहर,
परिवार सब रहा बेघर।
साल का तो साल गया,
अगला फसल पर गिरा नजर।।
रचनाकार– अमित आनंद

Note– कविता & कहानी के प्रति किसी सज्जन को आपत्ति हो तो ईमेल आईडी satishkrdwal@gmail.com पर प्रतिक्रिया भेजें और हमसे 8521312121पर संपर्क कर सकते हैं।
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Nice, labour hard
बहुत ही सुंदर कविता अमित जी
Super se bhi upar hai ye poem
बहुत बढ़िया कविता है दोस्त।
बहुत सुंदर
Best wishes to the rising poet of Mithilanchal and the popular Amit Yadav of all of you.
धन्यवाद के पात्र छी अपने