अछूत कौन ? Achhoot Kaun ? Mahatma Buddha Stories : नमस्कार दोस्तों एजुकेशनल पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। आज के लेख में हम महात्मा बुद्ध के एक प्रेरक कहानी आपके साथ शेयर कर रहे हैं। पाठक बंधु आपसे आग्रह है, इसे अंत तक जरूर पढ़ें। और अपना विचार कमेंट बॉक्स में जरूर दें।
अछूत कौन ? Achhoot Kaun
एक दिन की बात है, भगवान बुद्ध प्रवचन सभा में आकर चुपचाप बैठ गये, बिल्कुल मौन धारण करके।
शिष्य समुदाय उनके मौन का कारण जानना चाहते थे।
आखिरकार एक शिष्य महात्मा बुद्ध के सामने आकर पूछें– “गुरुदेव आप क्यों मौन बैठे हैं? आपका तबीयत ठीक तो, है ना?”
महात्मा बुद्ध फिर भी कुछ नहीं बोले – इतने में बाहर से एक आदमी जोर जोर से बोल रहे थे “आज आपने मुझे धर्मसभा में आने की अनुमति क्यों नहीं दी?”
भगवान बुद्ध फिर भी मौन बैठे हैं। वह आदमी और जोर जोर से चिल्लाने लगा। शिष्य समुदाय में से एक शिष्य बोले उस आदमी को आने दीजिए?
महात्मा बुद्ध आंख खोले और बोले — “नहीं- नहीं उस व्यक्ति को आने की अनुमति नहीं दिया जाए, क्योंकि वह अछूत है?”
शिष्य आश्चर्यचकित होकर पूछे गुरुदेव “ये अछूत….. भगवन आप कब से छुआछूत को मानने लगे हैं?”
महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के भावनाओं को भली भांति जानते हैं।
महात्मा बुद्ध बोले ” आज यह व्यक्ति अपने पत्नी से झगड़ा करके आया है। इनके अंदर क्रोध है और तुम जानते हो क्रोध से जीवन में शांति भंग होती है। ऐसे व्यक्ति मानसिक हिंसा करते हैं और फिर इसी क्रोध के कारण शारीरिक हिंसा। इसलिए क्रोधी व्यक्ति अछूत है। उन्हें बाहर खड़ा रहकर पश्चाताप की अग्नि में जलकर शुद्ध होने दीजिए।”
शिष्यगण को अस्पृश्यता और अछूत के बीच का अंतर समझ में आ गया। अस्पृश्यता क्या होता है? और अछूत क्या है?
उस व्यक्ति को बहुत पश्चाताप हुआ । वह कभी न क्रोध करने का प्रण किया। महात्मा बुद्ध उस व्यक्ति को धर्मसभा में आने की अनुमति प्रदान की।
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धन्यवाद
बिल्कुल सही सर जी