नकली बाल (हिंदी कहानी) लेखक- राजहंस : Nakali Baal Hindi kahani , Hindi story by Rajhans, Hindi kahaniyan, marmik kahaniyan, Navin Hindi kahaniyan. नमस्कार दोस्तों एजुकेशन पोर्टल में बहुत-बहुत स्वागत है। आज हम आपके बीच एक कहानी लेकर हाजिर हैं। कहानी का रचनाकार राजहंस कुमार है। इस कहानी के पात्र और घटनाएं काल्पनिक है। नकली बाल ( हिन्दी कहानी) को अंत तक पढ़े।
नकली बाल (हिंदी कहानी) लेखक- राजहंस
ये बात बहुत पहले की है। एक सरदार था जोकि बहुत बहादुर था। वे अनेकों लड़ाइयाँ लड़ी थीं और जीत हासिल कर उसनें अपनी असाधारण वीरता का बहुत सुन्दर परिचय भी दिया था। इतना ही नहीं वह एक मँजा हुआ तलवारबाज और कारामाति घुड़सवार भी था। इस पर भी वह दिल का बहुत उदार व्यक्ति था।
वे सदा ही जरूरतमंद और गरीबों की सहायता भी किया करता था। वह असहाय और निर्बल लोगों की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझता था। इसलिए लोग उसे सच्चे दिल से प्यार किया करते थे।लोग उसकी अच्छाइयों का गुणगान करते नहीं थकते और उस सरदार को बहुत सम्मान किया करते थे।
लेकिन उस सरदार के बिषय में एक रहस्यमय बात थी, जो बात किसी को भी पता नहीं थी। जहाँ तक की उसके जितने भी घनिष्ठ मित्र थे उन्हें भी इस बात का पता नहीं था।बात यह था कि सरदार बिल्कुल गंजा था। वे अपने गंजे सिर को गुप्त रखने के लिए वे अपने सिर पर बालों की टोपी पहना करता था। यह टोपी ऐसा था कि उनके सिर पर पूरी तरह इस प्रकार बैठ जाती थी कि उसके गंजे होने के बारे में किसी को जरा भी शंका नहीं होता था।
एक बार की बात है सरदार अपने कुछ मित्रों के संग में शिकार खेलने जंगल गया। वे अपने घोड़ों को मस्त चाल में सरपट दौड़ाता हीं जा रहे थे। उसी समय अकस्मात बड़े जोरों की तुफान आई और उस सरदार की बालों वाली टोपी उनके सिर से उड़कर दूर जा गिरी। फिर क्या था सरदार के गंजे होने का रहस्य खुल गया।
उस सरदार के जो मित्र थे उसके गंजे सिर देखकर हैरान रह गए। उनके मित्र सपने में भी यह नहीं सोचा था कि उनका हँसमुख मित्र गंजा है। वे लोग ठहाका लगा कर हँस पड़े। फिर वे लोग बोले, “वाह आपका मैदान तो तरबूजे की तरह सफाचट है। आप तो हमेशा आपने आप को जवान साबित करने के लिए ये नकली बाल आपने सिर पर लगाएं रक्खा और हम लोगों को बेवकूफ बनाते रहे !”
फिर सरदार ने जबाव दिया “हाँ दोस्तों मैं हमेशा ही अपने गंजे सिर को छिपाने का प्रयास जरूर किया। लेकिन मुझे यह मालूम था कि यह भेद एक दिन जरूर खुल जाएगा। लेकिन ये बात भी सत्य है कि जब मेरे अपने बालों ने हीं मेरा साथ छोड़ दिया तो यह नकली बाल मेरे सिर पर सदा के लिए कैसे रह सकते हैं?” इतना कहकर सरदार खिलखिलाकर हँस पड़ा।
लेकिन जब सरदार के मित्रों ने यह देखा कि सरदार स्वयं पर हँस रहे है,तो उनके मित्रों को उन पर हँसने के कारण बहुत शर्मिंदा हुआ। वे लोग सरदार से कहा, ” सरदार जी आप वाकई बहुत महान और दिलदार व्यक्ति हैं।”
शिक्षा -जो व्यक्ति अपने आप पर हँसने का सामर्थ रखता है, वे कभी भी दूसरों के हँसी का पात्र नहीं बन सकता।
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