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Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा , आरती और हनुमान जी के 25 नाम

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Hanuman Chalisa: हनुमान चालीसा , आरती और हनुमान जी के 25 नाम

हनुमान चालीसा

दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥

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चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

राम दूत अतुलित बलधामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेउ साजे॥

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अंतकाल रघुपति पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

दोहा:
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

Jai Shree Ram

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर काँपे।
रोग दोष जाके निकट न झाँके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सँवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि सँजीवन प्राण उबारे॥

पैठि पाताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥

सुर-नर मुनि जन आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥

जो हनुमान जी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परमपद पावे॥

हनुमान जी के नाम

हनुमान जी के कई नाम हैं, जो उनके गुण, कार्य और व्यक्तित्व को दर्शाते हैं। यहाँ हनुमान जी के प्रमुख नाम और उनके अर्थ दिए गए हैं:

1. हनुमान – जिनकी ठुड्डी (हनु) टूटी हुई थी।

2. अंजनीसुत – अंजना माता के पुत्र।

3. पवनपुत्र – पवन देव (वायु देव) के पुत्र।

4. बजरंगबली – जिनका शरीर वज्र (कठोर) जैसा है।

5. मारुति – वायुदेव के पुत्र होने के कारण।

6. रामदूत – भगवान श्रीराम के दूत।

7. महाबली – महान बलवान।

8. कपिश्रेष्ठ – वानरों में श्रेष्ठ।

9. शंकर सुवन – शिवजी का अवतार।

10. केशरी नंदन – केशरी के पुत्र।

11. संकटमोचन – भक्तों के सभी संकटों को हरने वाले।

12. दीनबंधु – दीन-दुखियों के साथी।

13. महावीर – महान वीर।

14. सुग्रीवसखा – सुग्रीव के मित्र।

15. अतुलितबलधामा – जिनका बल अतुलनीय है।

16. लंकविध्वंसक – जिन्होंने लंका का विध्वंस किया।

17. दक्षिणामुख – दक्षिण की ओर मुख वाले (रामभक्तों में माने जाते हैं)।

18. सियावरपुत्रभक्त – माता सीता के भक्त।

19. रुद्रावतार – भगवान रुद्र (शिव) के अवतार।

20. रामेष्ट – राम के प्रिय भक्त।

21. विद्यावान – ज्ञान और विद्या में निपुण।

22. कपीश्वर – वानरों के स्वामी।

23. सिद्धिसाधक – सिद्धियाँ देने वाले।

24. भीम रूपी – विशाल और भयानक रूपधारी।

25. प्राणदाता – जीवनदाता (लक्ष्मण जी को संजीवनी देने के कारण)।

हनुमान जी को उनकी भक्ति, शक्ति और साहस के लिए विभिन्न नामों से पुकारा जाता है, और ये नाम उनकी महिमा का बखान करते हैं।

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